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'''भद्रा नदी''' उत्तरकुरु की एक नदी जो उत्तर के [[पर्वत|पर्वतों]] को पारकर उत्तरी समुद्र में गिरती है-
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<blockquote>'भद्रा तथोत्तरगिरीनुत्तरांश्च तथाकुरून् अतीत्योत्तरमम्भोधिं समभ्येति महामुने'</blockquote>
 
*इसी प्रसंग में सीता, [[चक्षु नदी|चक्षु]] [[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]] और भद्रा, [[गंगा]] की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।  
 
*इसी प्रसंग में सीता, [[चक्षु नदी|चक्षु]] [[अलकनंदा नदी|अलकनंदा]] और भद्रा, [[गंगा]] की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।  
 
*ऐसा प्रतीत होता है कि [[विष्णु पुराण]] के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।  
 
*ऐसा प्रतीत होता है कि [[विष्णु पुराण]] के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।  
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*भद्रा इस प्रसंग के अनुसार साइबेरिया में बहने वाली कोई नदी हो सकती है।  
 
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भद्रा नदी

भद्रा नदी उत्तरकुरु की एक नदी जो उत्तर के पर्वतों को पारकर उत्तरी समुद्र में गिरती है-

'भद्रा तथोत्तरगिरीनुत्तरांश्च तथाकुरून् अतीत्योत्तरमम्भोधिं समभ्येति महामुने'

  • इसी प्रसंग में सीता, चक्षु अलकनंदा और भद्रा, गंगा की ये चार शाखाएं कही गई हैं जो चारों दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।
  • ऐसा प्रतीत होता है कि विष्णु पुराण के रचयिता के मत में ये चारों नदियाँ एक ही स्थान से उद्भुत होकर क्रमश: पूर्व, पश्चिम, दक्षिण और उत्तर की ओर बहती थीं।
  • यह भौगोलिक उपकल्पना अंवेषणीय अवश्य है और इसमें तथ्य का अंश जान पड़ता है।
  • भद्रा इस प्रसंग के अनुसार साइबेरिया में बहने वाली कोई नदी हो सकती है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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