ह्लादिनी नदी
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ह्लादिनी नदी एक प्राचीन नदी थी, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण के अयोध्याकाण्ड में हुआ है।[1]
'ह्लादिनीं दूरपारां च प्रत्यक्स्त्रोतस्तरंगिणीम, शतद्रुमतरछीमान् नदीमिक्ष्वाकुनंदनः।'
- ह्लादिनी नदी सतलुज के पूर्व में बहती थी।
- कुछ पुराणों में ऐसा आया है कि शिव ने अपनी जटा से गंगा को सात धाराओं में परिवर्तित कर दिया था, जिनमें तीन- 'नलिनी', 'ह्लादिनी' एवं 'पावनी' पूर्व की ओर; तीन- 'सीता', 'चक्षुस' एवं 'सिन्धु' पश्चिम की ओर प्रवाहित हुईं और सातवीं धारा भागीरथी हुई।[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 1032 |
- ↑ अयोध्याकाण्ड 71, 2
- ↑ मत्स्य पुराण 121|38-41; ब्रह्माण्ड पुराण 2|18|39-41 एवं 1|3|65-66)। कूर्म पुराण (1|46|30-31