स्वर्ण रेखा नदी
स्वर्ण रेखा नदी दक्षिणी छोटानागपुर के पठारी भू-भाग में राँची ज़िले के नगरी गाँव से निकलती है। इसी गाँव के एक छोर से दक्षिणी कोयल तो दूसरे छोर से स्वर्ण रेखा नदी का उदगम होता है।
प्रवाह स्थिति
राँची ज़िले से प्रवाहित होती हुई स्वर्ण रेखा नदी सिंहभूम ज़िले में प्रवेश करती है। यहाँ से यह उड़ीसा राज्य में चली जाती है। यह मौसमी नदी है। इसके नाम से संकेत मिलता है कि स्वर्ण रेखा के सुनहरी रेत में सोने की मात्रा पाई जाती है। किन्तु इसकी मात्रा अधिक न होने के कारण व्यवसायी उपयोग नहीं किया जाता है। पठारी भाग की चट्टानों वाले प्रदेश से प्रवाहित होने के कारण स्वर्ण रेखा नदी तथा इसकी सहायक नदियाँ गहरी घाटियों तथा जल प्रपात का निर्माण करती हैं। राढू (राँची) इसकी सहायक नदी है, जो होरहाप से निकल कर सिल्ली से दक्षिण तोरांग रेलवे स्टेशन से दक्षिण-पश्चिम में मिलती है।
जल प्रपात का निर्माण
यह नदी मार्ग में जोन्हा के पास एक जल प्रपात का निर्माण करती है, जो कि 150 फ़ीट की ऊँचाई पर है। यह जल प्रपात गौतम धारा के नाम से जाना जाता है। इसकी एक प्रमुख सहायक नदी काँची भी है, जो राढू के संगम स्थल से दक्षिण में मिलती है। यह भी तैमारा से दक्षिण में दशम जल प्रपात का निर्माण करती है, जिसकी ऊँचाई 144 फ़ीट है।
विशेषता
स्वर्ण रेखा नदी की एक प्रमुख विशेषता यह है कि उदगम से लेकर सागर में मिलन तक यह किसी की सहायक नदी नहीं बनती है। यह सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी तीन प्रमुख सहायक नदियाँ राढू, काँची और खरकई हैं, जो पूर्व दिशा में बहती हुई इसमें आ मिलती हैं।
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