तिम्मन्ना नायक

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तिम्मन्ना नायक (अंग्रेज़ी: Timmanna Nayaka) 15वीं ईस्वी में चित्रदुर्ग के शासक थे। उसने अपने खिलाफ सेना का नेतृत्व करने वाले विजयनगर के राजकुमार सलुवा नर्सिंग राया के घोड़े को चुराने के इरादे से रात में उनके शिविर में घुसकर अपनी पहचान कायम की थी।

  • जब तिम्मन्ना नायक घोड़े को चुरा रहे थे, तब राजकुमार जग गया और तिम्मन्ना को पकड़े जाने से बचने के लिए पुआल के ढेर में छुपना पड़ा।
  • राजकुमार ने खूंटी और रस्सी को जमीन में थोड़ा आगे की तरफ कर दिया, जिससे अनजाने में ही तिम्मन्ना हवा में लटक गया। फिर भी तिम्मन्ना चुपचाप छिपा रहा और सब कुछ शांत हो जाने के बाद उसने अपने लटके हुए हाथ को काटकर खुद को छुड़ाया और घोड़े को चुरा लिया।
  • उसके इस कृत्य ने घेराबंदी करने वाली सेना को यह एहसास दिलाया कि तिम्मन्ना नायक को भयभीत नहीं किया जा सकता। कहते हैं कि उसके बाद शांति की स्थापना हो गयी।
  • विजयनगर के राजा ने तिम्मन्ना नायक को राजधानी आमंत्रित किया और उसके इस साहसी कृत्य की बहुत प्रशंसा की। राजा के अनुरोध पर तिम्मन्ना नायक ने अपने अगले कदम के रूप में गुलबर्ग पर क़ब्ज़ा किया, जिसे विजयनगर की सेनाएं छह महीने की घेराबंदी के बाद भी जीत पाने में विफल रही थीं। इससे खुश होकर राजा ने तिम्मन्ना को दरबार में आमंत्रित किया।
  • तिम्मन्ना नायक को बाद में किसी कारणवश राजा की नाराजगी का सामना करना पड़ा और उसे विजयनगर में कैद कर दिया गया, जहां उसकी मृत्यु हो गयी।
  • तिम्मन्ना नायक के बाद उनके बेटे ओबाना नायक ने गद्दी संभाली। उसने अपना नाम मदकरी नायक रखा और गद्दी संभालने के कुछ ही वर्षों के भीतर विजयनगर साम्राज्य से स्वतंत्र होने की घोषणा कर दी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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