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'''सत्येन्द्र चंद्र मित्रा''' (जन्म- [[23 दिसंबर]], [[1888]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], मृत्यु- [[27 अक्टूबर]], [[1942]]) कुशल राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में समान रूप से सक्रिय रहे।  
 
'''सत्येन्द्र चंद्र मित्रा''' (जन्म- [[23 दिसंबर]], [[1888]], [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]], मृत्यु- [[27 अक्टूबर]], [[1942]]) कुशल राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में समान रूप से सक्रिय रहे।  
 
==परिचय==
 
==परिचय==
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==जेल यात्रा==
 
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==उपलब्धियां==
 
==उपलब्धियां==
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बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के पदाधिकारी सत्येन्द्र चंद्र मित्रा का [[27 अक्टूबर]], [[1942]] को निधन हो गया।   
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सत्येन्द्र चंद्र मित्रा (जन्म- 23 दिसंबर, 1888, बंगाल, मृत्यु- 27 अक्टूबर, 1942) कुशल राजनीतिज्ञ एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में समान रूप से सक्रिय रहे।

परिचय

बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यों में समान रूप से भाग लेने वाले सत्येंद्र चंद्र मित्रा का जन्म तत्कालीन बंगाल के नोआखली जिले में 23 दिसंबर, 1888 ई. को हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कोलकाता हाईकोर्ट में वकालत आरंभ की, पर उनका मुख्य उद्देश्य क्रांतिकारी गतिविधियों के द्वारा देश से विदेशी सत्ता को हटाना था। मित्रा इसके लिए 'युगांतर पार्टी' में सम्मिलित होकर उसकी गतिविधियों में भाग लेने लगे। इस बात का शीघ्र ही सरकार को पता चल गया और उन्हें गिरफ्तार करके 1916 में नजरबंद कर लिया। वे श्रमिक आंदोलन से भी संबद्ध रहे।[1]

जेल यात्रा

सत्येन्द्र चंद्र मित्रा को 'युगांतर पार्टी' के द्वारा क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण सरकार ने 1916 में नजरबंद करके रखा था। 1919 में सत्येंद्र नजरबंदी से बाहर आए तो पुन: राजनैतिक एवं क्रांतिकारी गतिविधियों में सक्रिय हो गये। इसके बाद सरकार ने सुभाष चंद्र बोस के साथ उन्हें गिरफ्तार करके 1927 तक म्यांमार की मांडले जेल में डाल दिया।

उपलब्धियां

सत्येन्द्र चंद्र ने सुभाष चंद्र बोस और देशबंधु चितरंजन दास के साथ 1920 में कोलकाता के कांग्रेस के विशेष अधिवेशन में भाग लिया। वे राज्य कांग्रेस के पदाधिकारी थे लेकिन क्रांतिकारी गतिविधियों के लिये 'युगांतर पार्टी' से भी उनका संपर्क बना रहा। 'स्वराज्य पार्टी' के उम्मीदवार के रूप में 1924 में बंगाल काउंसिल के सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद वे केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। मोतीलाल नेहरू के नेतृत्व में सत्येंद्र चंद्र 'स्वराज्य पार्टी' के चीफ बने। 1930 की असहयोग की नीति से सहमत ना होने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। बाद में वे 1930 में बंगाल की काउंसिल के सदस्य और अध्यक्ष चुने गए।

मृत्यु

बंगाल की क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पदाधिकारी सत्येन्द्र चंद्र मित्रा का 27 अक्टूबर, 1942 को निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 890 |

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