अर्जुन लाल सेठी

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अर्जुन लाल सेठी
अर्जुन लाल सेठी
पूरा नाम अर्जुन लाल सेठी
जन्म 9 सितम्बर, 1880
जन्म भूमि जयपुर, राजस्थान
मृत्यु 23 दिसम्बर, 1941
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी
अन्य जानकारी अर्जुन लाल सेठी अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मुसलमान बच्चों को अरबी और फ़ारसी पढ़ाते थे, यहीं पर उनका निधन हुआ। दरगाह के लोगों ने उन्हें मुस्लिम समझकर दफना दिया।

अर्जुन लाल सेठी (अंग्रेज़ी: Arjun Lal Sethi, जन्म- 9 सितम्बर, 1880, जयपुर; मृत्यु- 23 दिसम्बर, 1941) भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। दिल्ली में चाँदनी चौक से जब गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग का जुलूस गुजर रहा था, तब इस पर बम फेंका गया। बम फेंकने की यह योजना अर्जुन लाल सेठी द्वारा बनाई गई थी। अतः सेठी को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ कोई सबूत ना मिलने से उन्हें सजा तो नहीं दी जा सकी, फिर भी बिना मुकदमा चलाए सेठी को जेल में बंद रखा गया। सन 1920 में जब राजनीतिक कैदियों को क्षमा किया गया तो अर्जुन लाल सेठी को भी छोड़ दिया गया। जेल से आने के बाद इनका कार्य स्थल अजमेर हो गया।

परिचय

अर्जुन लाल सेठी का जन्म 9 सितंबर, 1880 ई. को जयपुर के एक जैन परिवार में हुआ था। 1902 में उन्होंने इलाहाबाद से बीए की परीक्षा पास की। इसके बाद वह चोमूँ के ठाकुर देवी सिंह के शिक्षक नियुक्त हुए। 1960 में उन्होंने लोगों को राजनीतिक शिक्षा देने के लिए जयपुर में वर्धमान विद्यालय की स्थापना की। प्रत्यक्ष रुप से वह एक धार्मिक विद्यालय था, किंतु वास्तव में यहां क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था। इस विद्यालय में न केवल राजस्थान से बल्कि देश के अन्य भागों से भी क्रांतिकारी प्रशिक्षण लेने आते थे। धीरे-धीरे अर्जुन लाल सेठी का स्कूल राजस्थान में क्रांतिकारियों की गतिविधियों का अड्डा बन गया।[1]

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

क्रांतिकारी आंदोलन को चलाने के लिए धन की आवश्यकता थी। अतः अर्जुन लाल सेठी ने मुग़लसराय स्थित एक धनी महंत की हत्या कर उसका धन प्राप्त करने की योजना बनाई। सेठी ने वर्धमान विद्यालय के शिक्षक विष्णुदत्त के नेतृत्व में 4 विद्यार्थियों को बनारस भेजा। इस दल ने 20 मार्च, 1913 को महंत और उसके नौकर की हत्या कर दी, लेकिन दुर्भाग्य से उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। हत्याकांड में भाग लेने वाले सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनमें से एक छात्र मोतीचंद को फांसी दे दी गई और विष्णुदत्त को आजीवन कारावास की सजा दी गई। सबूत के अभाव में अर्जुन लाल सेठी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

गिरफ़्तारी

23 दिसंबर को भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग का जुलूस दिल्ली में जब चाँदनी चौक से गुजरा, तभी उस पर बम फेंका गया। सामान्यतः यह माना जाता है कि बम फेंकने वाले प्रसिद्ध क्रांतिकारी रास बिहारी बोस थे, किंतु वास्तव में यह बम राजस्थान के क्रांतिकारी ठाकुर जोरावर सिंह बारहठ ने बुर्का ओढ़कर चांदनी चौक में स्थित मारवाड़ी लाइब्रेरी से फेंका था। हार्डिंग बम कांड के सिलसिले में जो व्यक्ति बंदी बनाए गए, उनमें राजस्थान के प्रमुख क्रांतिकारी बालमुकुंद, मोतीचंद और विष्णुदत्त भी थे। इस मुकदमे के मुखबिर अमीरचंद ने अपनी गवाही देते समय यह रहस्य उद्घाटन किया कि षड्यंत्र की योजना अर्जुन लाल सेठी के द्वारा तैयार की गई थी। अतः सेठी को गिरफ्तार कर लिया गया।

सज़ा

अर्जुन लाल सेठी के खिलाफ कोई सबूत ना मिलने से उन्हें सजा तो नहीं दी जा सकी, फिर भी बिना मुकदमा चलाए सेठी को जेल में बंद रखा गया। बाद में 5 अगस्त, 1914 को जयपुर के महाराज के आदेश से उन्हें 5 वर्ष का कारावास मिला। सरकार को भय था कि जयपुर जेल में अर्जुन लाल सेठी की उपस्थिति से जयपुर की शांति और व्यवस्था खतरे में पड़ सकती है, इसलिए सेठी को वेल्लोर (मद्रास) जेल में भेज दिया गया।

रिहाई

वेल्लोर में अर्जुन लाल सेठी ने राजनीतिक कैदियों के साथ किए जाने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ 70 दिन की भूख हड़ताल रखी। सन 1920 में जब राजनीतिक कैदियों को क्षमा किया गया तो सेठी को भी छोड़ दिया गया।

क्रांतिकारियों से सम्बंध

जेल से आने के बाद अर्जुन लाल सेठी का कार्य स्थल अजमेर हो गया। उनके पास प्रसिद्ध क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद और उनके दल के लोग मार्गदर्शन के लिए आते थे। उन्होंने मेरठ षड्यंत्र कांड के अभियुक्त शौकत उस्मानी और काकोरी कांड के फरार अभियुक्त अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ को अपने घर में शरण दी थी।

मृत्यु

गांधीवादी कांग्रेसियों के षड्यंत्र के कारण अर्जुन लाल सेठी कांग्रेस से अलग हो गए। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उन्होंने अपना जीवन निर्वाह करने के लिए अजमेर में ही ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर मुसलमान बच्चों को अरबी और फ़ारसी पढ़ाना शुरू कर दिया था और यहीं पर 23 दिसंबर, 1941 को उनका निधन हो गया। दरगाह के लोगों ने उन्हें मुस्लिम समझकर दफना दिया। राजस्थान की राजनीतिक चेतना जागृत करने वाले नायकों में अर्जुन लाल सेठी अग्रणीय हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. स्वतंत्रता सेनानी कोश (गांधी युगीन), भाग तीन, पृष्ठ संख्या 58-59

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