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सत्येन्द्रनाथ बोस (जन्म- 30 जुलाई, 1882, मिदनापुर, मृत्यु- 21 नवंबर, 1908) प्रसिद्ध क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। वे गरम विचारों के क्रांतिकारी थे। एक मुखबिर को जेल के अंदर खत्म करा देने के कारण उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।
परिचय
प्रसिद्ध क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस का जन्म 30 जुलाई, 1882 ई. को मिदनापुर में हुआ था। अरविंद घोष के प्रभाव से वे क्रांतिकारी आंदोलन के संपर्क में आए। अरविंद ने जतिन बनर्जी को 1902 में बड़ौदा के लिये इस उद्देश्य से भेजा था कि वे बंगाल में क्रांतिकारियों के संगठन को बढ़ाएं। जतिन बनर्जी बाद में स्वामी निरालंब के नाम से प्रसिद्ध हुए। इन्हीं की प्रेरणा तथा स्वामी विवेकानंद और बैंकिंग के साहित्य के प्रभाव से सत्येंद्र नाथ बॉस ने युवकों को अपने दल में आकृष्ट करने के लिए 'छात्र भंडार' नामक संस्था बनाई। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी का प्रचार करना था, लेकिन इस संस्था ने युवकों को क्रांतिकारी दल से जोड़ने का कार्य किया।[1]
गरम स्वभाव
सत्येन्द्रनाथ बोस गरम स्वभाव के व्यक्ति थे। उनके विचार लोकमान्य तिलक, अरविंद आदि से मिलते थे। किंग्सफोर्ड की हत्या कराने के लिये खुदीराम बोस को सत्येंद्र बोस ने ही खोजा था। किंग्सफोर्ड पर आक्रमण की घटना के बाद अवैध तरीके से हथियार रखने के कारण सत्येंद्र बोस को 2 महीने की सजा हुई और उन्हें अलीपुर जेल भेज दिया गया।
मुखबिर की हत्या
सत्येन्द्रनाथ बोस ने जेल में एक वीरेन गोस्वामी नामके मुखबिर की हत्या करा दी थी। अलीपुर जेल में अलीपुर बम कांड के आरोपी अरविंद कुमार, वीरेंद्र कुमार और हेमचंद्र भी विचाराधीन कैदी के रूप में बंद थे। उन्हीं में से एक वीरेन गोस्वामी सरकारी गवाह बन गया। उसे समाप्त करने के लिए चोरी छुपे जेल में हथियार मंगाए गए और उसकी हत्या करा दी गयी। सत्येंद्र नाथ पर इस हत्या का मुकदमा चला और इस क्रांतिकारी को 21 नवंबर, 1908 ई. को फांसी की सज़ा दे दी गयी।
शहादत
प्रसिद्ध क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ बोस का 21 नवंबर, 1908 ई. को फांसी के फंदे पर लटका दिये जाने के कारण निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 890 |
बाहरी कड़ियाँ
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