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बालकृष्ण चापेकर का जन्म [[1873]] में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर [[कीर्तन]] एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।  
 
बालकृष्ण चापेकर का जन्म [[1873]] में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर [[कीर्तन]] एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।  
 
===मृत्यु===
 
===मृत्यु===
बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने [[जून]], [[1897]] ई. में [[महारानी विक्टोरिया]] के '[[हीरक जयन्ती]]' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी। इस हत्याकाण्ड में बालकृष्ण को गिरफ़्तार कर [[9 फरवरी]], [[1899]] में फांसी पर लटका दिया गया।<ref>{{cite web |url=http://www.kranti1857.org/maharstra%20krantikari.php#chapekar%20balakrishan|title=महाराष्ट्र के क्रांतिकारी|accessmonthday=15 फ़रवरी |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्रान्ति1857|language= हिंदी}}</ref>
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बालकृष्ण चापेकर (जन्म- 1873; मृत्यु- 9 फरवरी, 1899) भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध हैं। बालकृष्ण चापेकर बाल गंगाधर तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे। इन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।

परिचय

बालकृष्ण चापेकर का जन्म 1873 में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर कीर्तन एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।

मृत्यु

बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी। इस हत्याकाण्ड में बालकृष्ण को गिरफ़्तार कर 9 फरवरी, 1899 में फाँसी पर लटका दिया गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाराष्ट्र के क्रांतिकारी (हिंदी) क्रान्ति1857। अभिगमन तिथि: 15 फ़रवरी, 2017।

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