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<poem>'इमं में गंगे यमुने सरस्वति शतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या।  
 
<poem>'इमं में गंगे यमुने सरस्वति शतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या।  
 
असिक्न्या मरुद्वृधे वितिस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'।</poem>  
 
असिक्न्या मरुद्वृधे वितिस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'।</poem>  
असिक्नी नदी [[अथर्ववेद]] में वर्णित त्रिककुद् (त्रिकूट)- [[पर्वत]] की घाटी में बहती है। ऋग्वेद से ज्ञात होता है कि पूर्व-वैदिक काल में [[सिंधु नदी|सिंधु]] और असिक्नी नदियों के निकट क्रिवि लोगों का निवास था जो कालांतर में वर्तमान पश्चिमी [[पंजाब]] और मध्य [[उत्तर प्रदेश]] में पहुंच कर पांचाल कहलाए। पश्चवर्ती [[साहित्य]] में असिक्नी को चन्द्रभागा कहा गया है किंतु कई स्थानों पर असिक्नी नाम भी उपलब्ध है, यथा- श्रीमद्भागवत, 5, 19 18 में- 'मरुद्वृधा वितस्ता असिक्नी विश्वेति महानद्य:'।<ref>देखें चंद्रभागा</ref>  
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असिक्नी नदी [[अथर्ववेद]] में वर्णित [[त्रिककुद|त्रिककुद्]] (त्रिकूट)- [[पर्वत]] की घाटी में बहती है। ऋग्वेद से ज्ञात होता है कि पूर्व-वैदिक काल में [[सिंधु नदी|सिंधु]] और असिक्नी नदियों के निकट क्रिवि लोगों का निवास था जो कालांतर में वर्तमान पश्चिमी [[पंजाब]] और मध्य [[उत्तर प्रदेश]] में पहुंच कर पांचाल कहलाए। पश्चवर्ती [[साहित्य]] में असिक्नी को चन्द्रभागा कहा गया है किंतु कई स्थानों पर असिक्नी नाम भी उपलब्ध है, यथा- श्रीमद्भागवत, 5, 19 18 में- 'मरुद्वृधा वितस्ता असिक्नी विश्वेति महानद्य:'।<ref>देखें चंद्रभागा</ref>  
  
 
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05:49, 25 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण

असिक्नी वर्तमान चिनाब नदी (पाकिस्तान) का वैदिक नाम है। ऋग्वेद 10, 75, 5-6 में नदीसूक्त के अंतर्गत इसका उल्लेख इस प्रकार है-

'इमं में गंगे यमुने सरस्वति शतुद्रि स्तोमं सचता परुष्ण्या।
असिक्न्या मरुद्वृधे वितिस्तयार्जीकीये श्रृणुह्या सुषोमया'।

असिक्नी नदी अथर्ववेद में वर्णित त्रिककुद् (त्रिकूट)- पर्वत की घाटी में बहती है। ऋग्वेद से ज्ञात होता है कि पूर्व-वैदिक काल में सिंधु और असिक्नी नदियों के निकट क्रिवि लोगों का निवास था जो कालांतर में वर्तमान पश्चिमी पंजाब और मध्य उत्तर प्रदेश में पहुंच कर पांचाल कहलाए। पश्चवर्ती साहित्य में असिक्नी को चन्द्रभागा कहा गया है किंतु कई स्थानों पर असिक्नी नाम भी उपलब्ध है, यथा- श्रीमद्भागवत, 5, 19 18 में- 'मरुद्वृधा वितस्ता असिक्नी विश्वेति महानद्य:'।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देखें चंद्रभागा

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