सखी री मेरे नैनन पड़ गए फीके रो-रो धार अँसुवन की छोड़ गयी कितनी लकीरें आस सूख गयी प्यास सूख गयी सावन - भादों बीते सूखे सखी री मेरे नैनन पड़ गए फीके बिन अँसुवन के अँखियाँ बरसतीं बिन धागे के माला जपती हो गए ये हाल बिरहा के सखी री मेरे नैनन पड़ गए फीके श्याम बिना फिरूँ बन के बेगानी लोग कहें मुझे मीरा दीवानी कैसे कटें दिन बिरहन के सखी री मेरे नैनन पड़ गए फीके हार श्याम को सिंगार श्याम को राग श्याम को गीत श्याम को कर गए जिय को रीते सखी री मेरे नैनन पड़ गए फीके