वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
कान्हा
प्रेम तेरा
वासंतिक हो जाये
हृदय - सुमन
मेरा खिल जाये
प्रेम पुष्पित
पल्लवित हो जाये
भक्ति की सरसों
मन में लहराए
पीत रंग
हर अंग समाये
जीव ब्रह्म
धानी हो जाये
द्वि का हर
परदा हट जाये
चूनर मेरी
श्यामल हो जाये
श्याम - श्याम
करते - करते
श्यामल - श्यामल
मैं हो जाऊँ
श्याम रस पीते - पीते
मैं भी रसानंद हो जाऊँ
श्याम खाऊँ
श्याम पियूँ
श्याम हँसूँ
श्याम रोऊँ
श्याम - श्याम
करते - करते
श्याम ही हो जाऊँ
कान्हा मैं
तेरी हो जाऊँ
कान्हा मैं