मोहन ! कल जो तुम मुस्कुराते मिले -वंदना गुप्ता

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मोहन ! कल जो तुम मुस्कुराते मिले -वंदना गुप्ता
वंदना गुप्ता
कवि वंदना गुप्ता
मुख्य रचनाएँ 'बदलती सोच के नए अर्थ', 'टूटते सितारों की उड़ान', 'सरस्वती सुमन', 'हृदय तारों का स्पंदन', 'कृष्ण से संवाद' आदि।
विधाएँ कवितायें, आलेख, समीक्षा और कहानियाँ
अन्य जानकारी वंदना जी के सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे- कादम्बिनी, बिंदिया, पाखी, हिंदी चेतना, शब्दांकन, गर्भनाल, उदंती, अट्टहास, आधुनिक साहित्य, नव्या, सिम्पली जयपुर आदि के अलावा विभिन्न ई-पत्रिकाओं में रचनाएँ, कहानियां, आलेख आदि प्रकाशित हो चुके हैं।
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वंदना गुप्ता की रचनाएँ


मोहन !
कल जो तुम मुस्कुराते मिले 
मेरी जन्मों की साध मानो पूर्ण किए 
 
अब खोजती हूँ मुस्कुराने के अर्थ 
जाने कौन से भेद थे छुपे 
अटकलें लगाती हूँ 
मगर प्यारे 
तुम्हारे प्रेम की न थाह पाती हूँ 
 
जाने कौन सी अदा भा गयी 
जो इस गोपी पर दया आ गयी 
प्रेम की यूं बाँसुरी बजायी 
मेरी प्रीत दौड़ी चली आई 
 
और न कुछ मेरी पूँजी है 
ये अश्रुओं की खेती ही बीजी है 
जो तुम इन पर रिझो बिहारी 
तो अश्रुहार से करूँ श्रृंगार मुरारी 
 
हे गोविन्द! हे केशव! हे माधव !
अब विनती यही है हमारी 
छवि ऐसी ही दिखलाया करना 
जब जब निज चरणन में बुलाया करना 
 
नैनन में जो बसी छवि प्यारी 
मैं भूली अपनी सुध सारी 
प्रीतम बस यही है मेरी प्रीत सारी 

तुझ पर जाऊँ तन मन से बलिहारी


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