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रावी नदी, पश्चिमोत्तर [[भारत]] और पूर्वोत्तर [[पाकिस्तान]] में बहने वाली एक नदी है। यह उन पाँच नदियों में से एक, जिनसे [[पंजाब]] (पाँच नदियों का प्रदेश) का नाम पड़ा। यह [[हिमाचल प्रदेश]] में वृहद [[हिमालय]] से निकलती है एवं पश्चिम-पश्चिमोत्तर में [[चंबा]] नगर से होती हुई [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू-कश्मीर]] की सीमा पर दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इसके बाद यह नदी पाकिस्तानी पंजाब में प्रवेश करने से पहले पाकिस्तानी सीमा के साथ-साथ 80 किमी से अधिक दूरी तक बहती है। यह [[लाहौर]] से होकर बहती हुई कमलिया के निकट पश्चिम की ओर मुड़ जाती है और लगभग 725 किमी के बाद अहमदपुर सियाल के दक्षिण में [[चिनाब नदी]] में मिल जाती है। | |||
रावी उत्तरी | रावी नदी के [[जल]] का सिचाई के लिए उपयोग सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र में किया जाता है। भारतीय पंजाब के उत्तरी छोर पर माधोपुर में प्रारम्भिक बिंदु वाली ऊपरी बारी (बा ब्यास, री-रावी) दोआब नहर 1878-1879 में बनकर तैयार हुई थी। यह रावी के पूर्व के बड़े हिस्से को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है, जिसकी सहायक नहरें पाकिस्तान तक विस्तारित है। | ||
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*रावी का पौराणिक तथा वैदिक नाम परुषनी या इरावती भी है। | |||
*'रावी' इरावती का ही अपभ्रंश है। इसका वैदिक नाम परुष्णी था। 'इरा' का अर्थ मदिरा या स्वादिष्ट पेय है। | |||
*[[महाभारत]]<ref>[[भीष्मपर्व महाभारत|महाभारत भीष्मपर्व]] 9, 16</ref> में इसकी [[वितस्ता नदी|वितस्ता]] और अन्य नदियों के साथ परिगणित किया गया है- | |||
:'इरावती' वितस्ता च पयोष्णीं देविकामपि'। | |||
*[[महाभारत]] <ref>[[सभा पर्व महाभारत|महाभारत सभा पर्व]] 9, 19</ref> में भी इसी प्रकार उल्लेख है- | |||
:'इरावती वितस्ता च सिंधुर्देवनदी तथा।' | |||
*ग्रीक लेखकों ने इरावती को 'हियारावटीज' लिखा है। | |||
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12:13, 2 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

रावी नदी / परुषनी
रावी नदी, पश्चिमोत्तर भारत और पूर्वोत्तर पाकिस्तान में बहने वाली एक नदी है। यह उन पाँच नदियों में से एक, जिनसे पंजाब (पाँच नदियों का प्रदेश) का नाम पड़ा। यह हिमाचल प्रदेश में वृहद हिमालय से निकलती है एवं पश्चिम-पश्चिमोत्तर में चंबा नगर से होती हुई जम्मू-कश्मीर की सीमा पर दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़ जाती है। इसके बाद यह नदी पाकिस्तानी पंजाब में प्रवेश करने से पहले पाकिस्तानी सीमा के साथ-साथ 80 किमी से अधिक दूरी तक बहती है। यह लाहौर से होकर बहती हुई कमलिया के निकट पश्चिम की ओर मुड़ जाती है और लगभग 725 किमी के बाद अहमदपुर सियाल के दक्षिण में चिनाब नदी में मिल जाती है।
रावी नदी के जल का सिचाई के लिए उपयोग सम्पूर्ण प्रवाह क्षेत्र में किया जाता है। भारतीय पंजाब के उत्तरी छोर पर माधोपुर में प्रारम्भिक बिंदु वाली ऊपरी बारी (बा ब्यास, री-रावी) दोआब नहर 1878-1879 में बनकर तैयार हुई थी। यह रावी के पूर्व के बड़े हिस्से को सिंचाई की सुविधा प्रदान करती है, जिसकी सहायक नहरें पाकिस्तान तक विस्तारित है।
पौराणिक आधार

पौराणिक आधार पर निम्न बातें हैं:-
- रावी का पौराणिक तथा वैदिक नाम परुषनी या इरावती भी है।
- 'रावी' इरावती का ही अपभ्रंश है। इसका वैदिक नाम परुष्णी था। 'इरा' का अर्थ मदिरा या स्वादिष्ट पेय है।
- महाभारत[1] में इसकी वितस्ता और अन्य नदियों के साथ परिगणित किया गया है-
- 'इरावती' वितस्ता च पयोष्णीं देविकामपि'।
- 'इरावती वितस्ता च सिंधुर्देवनदी तथा।'
- ग्रीक लेखकों ने इरावती को 'हियारावटीज' लिखा है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महाभारत भीष्मपर्व 9, 16
- ↑ महाभारत सभा पर्व 9, 19