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अचिरवती [[बौद्ध साहित्य]] में विख्यात नदी है और आजकल इसे [[राप्ती नदी]] के नाम से जाना जाता है। अचिरवती को [[अजिरावती नदी|अजिरावती]] और [[अचिरावती नदी|अचिरावती]] के नाम से भी जाना जाता है। अचिरवती नदी के तट पर बौद्ध काल की प्रसिद्ध नगरी [[श्रावस्ती]] बसी हुई थी। इसका अभिज्ञान छोटी राप्ती से किया गया है जो [[गंडक नदी|गंडक]] में मिलती है। संगम स्थान [[नेपाल]] में स्थित है<ref>देखें विंसेंट स्मिथ-अर्ली हिस्ट्री आव इंडिया, पृ. 167</ref> बौद्ध साहित्य में नदी का नाम अचिरवती भी मिलता है। शायद अतितवती भी अचिरवती का ही अपभ्रष्ट रूप है। जैन ग्रंथ [[कल्पसूत्र]] (पृ. 12) में इस नदी को इरावइ या इरावती कहा गया है। श्री बी. सी. लॉ के अनुसार यह [[सरयू नदी|सरयू]] की सहायक राप्ती नदी है।<ref>देखें हिस्टॉरिकल ज्योग्रेफी आव एंशेंट इंडिया, पृ. 61</ref>  
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12:35, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

अचिरवती बौद्ध साहित्य में विख्यात नदी है और आजकल इसे राप्ती नदी के नाम से जाना जाता है। अचिरवती को अजिरावती और अचिरावती के नाम से भी जाना जाता है। अचिरवती नदी के तट पर बौद्ध काल की प्रसिद्ध नगरी श्रावस्ती बसी हुई थी। इसका अभिज्ञान छोटी राप्ती से किया गया है जो गंडक में मिलती है। संगम स्थान नेपाल में स्थित है[1] बौद्ध साहित्य में नदी का नाम अचिरवती भी मिलता है। शायद अतितवती भी अचिरवती का ही अपभ्रष्ट रूप है। जैन ग्रंथ कल्पसूत्र (पृ. 12) में इस नदी को इरावइ या इरावती कहा गया है। श्री बी. सी. लॉ के अनुसार यह सरयू की सहायक राप्ती नदी है।[2]

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- राप्ती नदी


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. देखें विंसेंट स्मिथ-अर्ली हिस्ट्री आव इंडिया, पृ. 167
  2. देखें हिस्टॉरिकल ज्योग्रेफी आव एंशेंट इंडिया, पृ. 61

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