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− | ''' | + | '''रामराव गणपत राव लाड''' (जन्म- [[1910]], [[गोवा]]) प्रसिद्ध [[चित्रकार]] और स्वतंत्रता सेनानी थे। गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों में रामराव लाड का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है। |
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− | + | गोवा मुक्तिसंग्राम के नायकों में से एक रामराव गणपतराव लाड का जन्म [[1910]] में [[गोवा]] के एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके [[पिता]] गणपत राव अपने समय के प्रसिद्ध [[चित्रकार]] थे। रामराव ने भी [[मुंबई]] के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स की परीक्षा पास करके पेंटिंग को ही आजीविका के रूप में अपनाया और चित्रकारी के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की। रामराव ने मुंबई में [[कांग्रेस]] की गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया।{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=830|url=}} | |
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08:26, 15 जुलाई 2018 का अवतरण
रामराव गणपत राव लाड (जन्म- 1910, गोवा) प्रसिद्ध चित्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों में रामराव लाड का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
परिचय
गोवा मुक्तिसंग्राम के नायकों में से एक रामराव गणपतराव लाड का जन्म 1910 में गोवा के एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गणपत राव अपने समय के प्रसिद्ध चित्रकार थे। रामराव ने भी मुंबई के जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स की परीक्षा पास करके पेंटिंग को ही आजीविका के रूप में अपनाया और चित्रकारी के क्षेत्र में ख्याति अर्जित की। रामराव ने मुंबई में कांग्रेस की गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया। भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 830 |
गोवा मुक्तिसंग्राम
गोवा मुक्तिसंग्राम में रामराव गणपत राव लाड की अहम् भूमिका रही है। रामराव कांग्रेस की गोवा शाखा के महामंत्री के रूप में गुप्त रूप से वहां के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता पहुंचाते रहे। 1947 में गोवा के अंदर गए और वहां के सशस्त्र क्रांतिकारी संगठन 'आजाद गोंगतक दल' मैं सम्मिलित हो गए। इस दल ने वहां के पुर्तगाली शासन के विरुद्ध अनेक अभियान चलाए। इसके प्रयत्न से ही 1954 में दादरा और नगर हवेली की पुर्तगाली बस्तियां स्वतंत्र करा ली गई थी। बाद में भारत सरकार ने बल का प्रयोग करके 19 दिसंबर 1961 को फ्रांसीसी सत्ता को समर्पण करने के लिए बाध्य किया और देश का यह अंचल भी स्वतंत्र हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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गोवा मुक्तिसंग्राम के नायकों में से एक रामराव गणपतराव लाड का जन्म 1910 में गोवा के एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता गणपत राव अपने समय के प्रसिद्ध चित्रकार थे। रामराव ने भी मुंबई के जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स की परीक्षा पास करके पेंटिंग को ही आजीविका के रूप में अपनाया और इस क्षेत्र में ख्याति अर्जित की।
रामराव ने मुंबई में कांग्रेस की गतिविधियों में सक्रिय भाग लिया और कांग्रेस की गोवा शाखा के महामंत्री के रूप में गुप्त रूप से वहां के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता पहुंचाते रहे। 1947 में गोवा के अंदर गए और वहां के सशस्त्र क्रांतिकारी संगठन 'आजाद गोंगतक दल' मैं सम्मिलित हो गए। इस दल ने वहां के पुर्तगाली शासन के विरुद्ध अनेक अभियान चलाए। इसके प्रयत्न से ही 1954 में दादर और नागर हवेली की पुर्तगाली बस्तियां स्वतंत्र करा ली गई थी। बाद में भारत सरकार ने बल का प्रयोग करके 19 दिसंबर 1961 को फ्रांसीसी सत्ता को समर्पण करने के लिए बाध्य किया और देश का यह अंचल भी स्वतंत्र हुआ। गोवा के स्वतंत्रता सेनानियों में रामराव लाड का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है।
भारतीय चरित्र कोश 830