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*अयोमुख [[भारत]] का एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] 630 ई. से 645 ई. तक रहा था।  
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*अयोमुख [[भारत]] का एक ऐतिहासिक स्थान था जहाँ चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] 630 ई. से 645 ई. तक रहा था।  
 
*युवानच्वांग ने इस स्थान को [[अयोध्या]] से लगभग 300 मील पूर्व की ओर बताया था।  
 
*युवानच्वांग ने इस स्थान को [[अयोध्या]] से लगभग 300 मील पूर्व की ओर बताया था।  
 
*युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और [[प्रयाग]] के मार्ग पर अवस्थित था।  
 
*युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और [[प्रयाग]] के मार्ग पर अवस्थित था।  
 
*युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफ़ान आ जाने से वह बच गया।  
 
*युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफ़ान आ जाने से वह बच गया।  
 
*ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष ज़ोर था।  
 
*ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष ज़ोर था।  
*[[कनिंघम]] के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, [[उत्तर प्रदेश]] से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था
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*[[कनिंघम]] के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, [[उत्तर प्रदेश]] से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था।
 
 
 
 
 
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12:10, 16 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • अयोमुख भारत का एक ऐतिहासिक स्थान था जहाँ चीनी यात्री युवानच्वांग 630 ई. से 645 ई. तक रहा था।
  • युवानच्वांग ने इस स्थान को अयोध्या से लगभग 300 मील पूर्व की ओर बताया था।
  • युवानच्वांग के वृत्त के अनुसार यह स्थान अयोध्या और प्रयाग के मार्ग पर अवस्थित था।
  • युवानच्वांग की जीवनी से विदित होता है कि अयोमुख के मार्ग में ठगों ने युवान को पकड़ कर अपनी देवी पर उसकी बलि देने का प्रयत्न किया किंतु तूफ़ान आ जाने से वह बच गया।
  • ऐसा जान पड़ता है कि उस समय इस प्रदेश में शाक्तों का विशेष ज़ोर था।
  • कनिंघम के अनुसार यह स्थान प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश से 30 मील दक्षिण-पश्चिम की ओर था।

 

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