चंदेरी

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चंदेरी, ग्वालियर ज़िला, मध्य प्रदेश में स्थित है। इसका प्राचीन नाम 'चंद्रगिरि' था। चंदेरी महाभारत काल में श्रीकृष्ण के प्रतिद्वंद्वी शिशुपाल की राजधानी थी। शिशुपाल चेदि देश का राजा था। महाभारत में चेदि की राजधानी का नाम नहीं है। भारतीय इतिहास में चंदेरी का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्रथम मुग़ल बादशाह बाबर ने इस पर अधिकार किया था, बाद में 18वीं शती के अंतिम चरण में, जब मुग़ल वंश का पतन हो रहा था, इस पर सिंधिया का अधिकार हो गया।[1]

इतिहास

चंदेरी में प्राचीन काल के अनेक ध्वंसावशेष बिखरे पड़े हैं। यहाँ से 8 मील (लगभग 12.8 कि.मी.) उत्तर की ओर 'बूढ़ी चंदेर' (या चंदेरी) नाम का एक उजाड़ ग्राम है, जो 10वीं-12वीं शती ई. का जान पड़ता है। चंदेरी से प्राप्त 11वीं-12वीं शती ई. के प्रतिहार राजा कीर्तिपाल के अभिलेख से सूचित होता है कि यहाँ उसके समय में कीर्तिदुर्ग नामक क़िले का निर्माण हुआ था। इस अभिलेख में चंदेरी का नाम 'चंद्रपुर' अंकित है। 1528 ई. में चंदेरी के राजा मेदिनीराय को हराकर प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर ने इस नगर पर अधिकार कर लिया था। 18वीं शती के अंतिम चरण में, मुग़ल साम्राज्य की अवनति और मराठों के उत्कर्ष के समय, सिंधिया का ग्वालियर के इलाके में आधिपत्य स्थापित होने पर चंदेरी भी ग्वालियर रियासत में सम्मिलित हो गई।

जनश्रुति

एक जनश्रुति के आधार पर कहा जाता है कि चंदेरी की स्थापना संभवत: आठवीं शती ई. में चंदेल राजपूतों ने की थी, जो चंद्रवंशीय क्षत्रिय माने जाते थे। इन्होंने इसका नाम 'चंद्रपुरी' रखा था। यह भी संभव है कि महाभारत कालीन चेदि देश की राजधानी होने से इस नगरी को 'चेदिपुरी' या 'चेदिगिरि' कहा जाता था, जिसका अप्रभंश कालांतर में चंदेरी हो गया। चंदेरी के ऐतिहासिक स्मारकों में यहाँ का क़िला, फ़तेहाबाद का कोशकमहल (15वीं शती ई.), पंचमनगर और सिंगपुर के महल (18वीं शती) उल्लेखनीय हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 315 |

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