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'''गरुड़नथूकम''' [[केरल]] का [[लोक नृत्य]] है। यह नृत्य उन मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है, जहां भद्रकाली देवी स्थापित हों।
'''गरुड़नथूकम''' [[केरल]] का [[लोक नृत्य]] है। यह [[नृत्य]] उन मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है, जहां [[काली देवी|भद्रकाली देवी]] स्थापित हों।


*दो या तीन नर्तक [[गरुड़]] का [[स्वांग]] रचाकर खास तरह के [[वाद्य यंत्र]] की ताल पर नाचते हैं।
*दो या तीन नर्तक [[गरुड़]] का [[स्वांग]] रचाकर खास तरह के [[वाद्य यंत्र]] की ताल पर नाचते हैं।
*गरुड़ (पक्षियों का राजा) का प्रतिरूप बनाकर कलाकार नृत्य के दौरान पंखों के छिन्न-भिन्न होने के बावजूद अपने पंजों में सांप को दबाए रखता है। वह आनंदातिरेक में अपने पंखों को फैलाकर और गोल घूमकर नाचता है।
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12:24, 20 जुलाई 2018 के समय का अवतरण

गरुड़नथूकम केरल का लोक नृत्य है। यह नृत्य उन मंदिरों में प्रस्तुत किया जाता है, जहां भद्रकाली देवी स्थापित हों।

  • दो या तीन नर्तक गरुड़ का स्वांग रचाकर खास तरह के वाद्य यंत्र की ताल पर नाचते हैं।
  • गरुड़ (पक्षियों का राजा) का प्रतिरूप बनाकर कलाकार नृत्य के दौरान पंखों के छिन्न-भिन्न होने के बावजूद अपने पंजों में सांप को दबाए रखता है। वह आनंदातिरेक में अपने पंखों को फैलाकर और गोल घूमकर नाचता है।


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