"सोहगोर": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (Removed Category:नया पन्ना; Adding category Category:उत्तर प्रदेश (Redirect Category:उत्तर प्रदेश resolved) (using HotCat)) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका) |
||
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 10 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
सोहगोर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[गोरखपुर]] शहर से 14 मील दूर इस ग्राम में [[1874]] ई. में एक ताम्रपट्ट प्राप्त हुआ था जिस पर महत्त्वपूर्ण अभिलेख अंकित था। इसमें श्रावस्ती के कुछ राज्यअधिकारियों के सरकारी अन्नभंडार के रक्षकों के प्रति आदेश सन्निहित है। इसमें कहा गया है कि इस प्रदेश में अकाल पड़ने के कारण सरकारी भंडार से अकाल-पीड़ितों को बराबर अन्न बांटा जाए। अन्न के समभक्त किए जाने के विषय में दिव्यावदान <ref> | [[चित्र:Lekhan-Samagri-6.jpg|thumb|200px|सोहगौर ताम्रपट (संभवतः ईसा पूर्व चौथी सदी)]] | ||
सोहगोर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[गोरखपुर]] शहर से 14 मील दूर इस ग्राम में [[1874]] ई. में एक ताम्रपट्ट प्राप्त हुआ था जिस पर महत्त्वपूर्ण अभिलेख अंकित था। इसमें श्रावस्ती के कुछ राज्यअधिकारियों के सरकारी अन्नभंडार के रक्षकों के प्रति आदेश सन्निहित है। इसमें कहा गया है कि इस प्रदेश में अकाल पड़ने के कारण सरकारी भंडार से अकाल-पीड़ितों को बराबर अन्न बांटा जाए। अन्न के समभक्त किए जाने के विषय में दिव्यावदान <ref>प्रथम शती ई.</ref> में [[काशी]]-नरेश ब्रह्मदत्त द्वारा अकालपीड़ितों को समान मात्रा में अन्न बांटने का वर्णन है। स्वयं राजा ने एक भूखे निर्धन के साथ अपने द्विगुण भाग का बंटबारा कर लिया था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से भी समभक्त के विषय में सूचना मिलती है। | |||
{{प्रचार}} | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
पंक्ति 8: | पंक्ति 10: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | |||
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}} | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]] | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]] |
07:13, 16 जून 2013 के समय का अवतरण

सोहगोर उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर शहर से 14 मील दूर इस ग्राम में 1874 ई. में एक ताम्रपट्ट प्राप्त हुआ था जिस पर महत्त्वपूर्ण अभिलेख अंकित था। इसमें श्रावस्ती के कुछ राज्यअधिकारियों के सरकारी अन्नभंडार के रक्षकों के प्रति आदेश सन्निहित है। इसमें कहा गया है कि इस प्रदेश में अकाल पड़ने के कारण सरकारी भंडार से अकाल-पीड़ितों को बराबर अन्न बांटा जाए। अन्न के समभक्त किए जाने के विषय में दिव्यावदान [1] में काशी-नरेश ब्रह्मदत्त द्वारा अकालपीड़ितों को समान मात्रा में अन्न बांटने का वर्णन है। स्वयं राजा ने एक भूखे निर्धन के साथ अपने द्विगुण भाग का बंटबारा कर लिया था। कौटिल्य के अर्थशास्त्र से भी समभक्त के विषय में सूचना मिलती है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ प्रथम शती ई.
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार