"सत्येन्द्र नारायण सिंह" के अवतरणों में अंतर

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(मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिन्हा ने ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखी)
 
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}}'''सत्येन्द्र नारायण सिन्हा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Satyendra Narayan Sinha'', जन्म- [[12 सितम्बर]], [[1917]], मगधमंडल, बिहार, आज़ादी पूर्व; मृत्यु- [[4 सितंबर]], [[2006]], [[पटना]]) एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता और [[बिहार ]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] थे। प्यार से लोग उन्हें ''छोटे साहब'' कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, सांसद, शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक [[बिहार ]] के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।     
 
 
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा एक [[भारत|भारतीय]] राजनेता और [[बिहार ]] के पूर्व [[मुख्यमंत्री]] थे। प्यार से लोग उन्हें ''छोटे साहब'' कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, सांसद, शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक [[बिहार ]] के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।     
 
 
==राजनीतिक जीवन==
 
==राजनीतिक जीवन==
{{बाँयाबक्सा|पाठ="अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया।।"- '''  उप राष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी'''|विचारक=}}
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{{बाँयाबक्सा|पाठ="अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया।।" |विचारक=[[मोहम्मद हामिद अंसारी]]}}
[[स्वतंत्रता संग्राम]] में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था। लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी। यही कारण है कि वे [[1961]] में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे। उन्होंने छठे और सातवें दशक में [[बिहार]] की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी। शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही [[मगध विश्वविद्यालय]] की स्थापना की। वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे।सत्येन्द्र बाबू शिक्षा को नई दिशा दिए जाने ,युवकों एवं छात्रों को राजनिति में उचित स्थान दिलाये जाने के हिमायत थे।छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।सत्येन्द्र बाबू ने राजधानी का गौरव और देश भर में पटना को अलग पहचान दिलाने वाले ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखी|
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[[स्वतंत्रता संग्राम]] में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था। लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी। यही कारण है कि वे [[1961]] में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।<br />
 
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उन्होंने छठे और सातवें दशक में [[बिहार]] की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी। शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही [[मगध विश्वविद्यालय]] की स्थापना की। वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे। सत्येन्द्र बाबू शिक्षा को नई दिशा दिए जाने ,युवकों एवं छात्रों को राजनिति में उचित स्थान दिलाये जाने के हिमायत थे।<br />
 
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छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। सत्येन्द्र बाबू ने राजधानी का गौरव और देश भर में पटना को अलग पहचान दिलाने वाले ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखी।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://tewaronline.com/?p=682 सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के जीवन पर स्मृति कलश पुस्तक]
 
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*[http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5764172.html जन नेता थे छोटे साहब : पूर्व मुख्यमंत्री राम सुन्दर दास]
 
*[http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_5764172.html जन नेता थे छोटे साहब : पूर्व मुख्यमंत्री राम सुन्दर दास]
 
*[http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:YndCj_BcwtkJ:in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6564942.html+%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0+%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%82&cd=18&hl=en&ct=clnk&gl=in&source=www.google.co.in  सत्येन्द्र बाबू सामाजिक- राजनीतिक और प्रशासनिक क्षमता के अद्भुत समन्वय थे-केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय]
 
*[http://webcache.googleusercontent.com/search?q=cache:YndCj_BcwtkJ:in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6564942.html+%E0%A4%B8%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0+%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%82&cd=18&hl=en&ct=clnk&gl=in&source=www.google.co.in  सत्येन्द्र बाबू सामाजिक- राजनीतिक और प्रशासनिक क्षमता के अद्भुत समन्वय थे-केन्द्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय]
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
{{स्वतन्त्रता सेनानी}}  
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[[Category:बिहार के मुख्यमंत्री]]
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[[Category:लेखक]]
 
[[Category:राजनेता]]
 
[[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]]
 
[[Category:जीवनी साहित्य]]
 
[[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]]
 
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10:24, 21 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण

सत्येन्द्र नारायण सिंह
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा.jpg
पूरा नाम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा
अन्य नाम छोटे साहब
जन्म 12 सितम्बर, 1917
जन्म भूमि मगध मंडल, बिहार
मृत्यु 4 सितंबर, 2006
मृत्यु स्थान पटना, बिहार
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी कांग्रेस (1940-1969), कांग्रेस-ओ (1969–1977), जनता पार्टी
पद बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री
शिक्षा स्नातक, बी. एल., क़ानून में मास्टर डिग्री
संबंधित लेख मुख्यमंत्री, बिहार, बिहार के मुख्यमंत्री
अन्य जानकारी शिक्षा मंत्री के रूप में सत्येन्द्र नारायण सिन्हा ने शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही मगध विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे।

सत्येन्द्र नारायण सिन्हा (अंग्रेज़ी: Satyendra Narayan Sinha, जन्म- 12 सितम्बर, 1917, मगधमंडल, बिहार, आज़ादी पूर्व; मृत्यु- 4 सितंबर, 2006, पटना) एक भारतीय राजनेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे। प्यार से लोग उन्हें छोटे साहब कहते थे। वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, सांसद, शिक्षा मंत्री तथा बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 72 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। इसके पूर्व 1977 मे उन्होंने मुख्यमंत्री बनने की कोशिश की परंतु असफल रहे। वस्तुत: छोटे साहब इतने भाग्यशाली नहीं रहे और वर्षों तक बिहार के वरिष्ठतम नेता होने के बावज़ूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया।

राजनीतिक जीवन

Blockquote-open.gif "अपने छह दशक के राजनीतिक जीवन में छोटे साहब ने कई मील के पत्थर स्थापित किए। युवाओं और छात्रों को राजनीति में आने के लिए मोटिवेट किया।।" Blockquote-close.gif

स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के बाद देश की आज़ादी के समय राष्ट्रीय राजनीति में इनका नाम वज़नदार हो चुका था। लेकिन सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की प्राथमिक रुचि राज्य की राजनीति में ही थी। यही कारण है कि वे 1961 में बिहार के शिक्षा मंत्री बने जो उप मुख्यमंत्री के हैसियत में थे।

उन्होंने छठे और सातवें दशक में बिहार की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभायी। उन्होंने राजनीति के लिए मानवीय अनुभूतियों को तिलांजलि दे दी। शिक्षा मंत्री के रूप में शैक्षणिक सुधार किया, साथ ही मगध विश्वविद्यालय की स्थापना की। वे देश में अपनी सैद्धांतिक राजनीति के लिए चर्चित हुआ करते थे। सत्येन्द्र बाबू शिक्षा को नई दिशा दिए जाने ,युवकों एवं छात्रों को राजनिति में उचित स्थान दिलाये जाने के हिमायत थे।

छोटे साहब ने बिहार के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई। सत्येन्द्र बाबू ने राजधानी का गौरव और देश भर में पटना को अलग पहचान दिलाने वाले ऐतिहासिक तारामंडल की आधारशिला रखी।

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