ज्वालामुखी अगरही देवी नृत्य

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ज्वालामुखी अगरही देवी नृत्य आदिवासी समाज में प्रचलित है। 'अगरही' पूर्वांचल के आदिवासियों का प्रमुख नृत्य है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसे अगरिया जनजाति के पुरुष वर्ग के लोग जुलूस के रूप में करते हैं।

  • सोनभद्र जनपद में शक्तिनगर के समीप ज्वालामुखी देवी का धाम है। वहां दोनों नवरात्रों में मध्य प्रदेश के सीधी, सरगुजा; बिहार के रोहतास, पलामू; उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर, सोनभद्र के हजारों आदिवासी मादल, ढोल, मंजीरा बजाते हुए लंगोटी लगाकर, बाल मुंडवाकर, रोली लगाकर, बाना त्रिशूल लेकर आते हैं और मंदिर के चारों ओर नृत्य करते हैं। वे त्रिशूल, नारियल, माला चढ़ाकर अथवा बकरे की बलि चढ़ाकर पूजा करते हैं। यह दृश्य तब रोमांचकारी हो जाता है, जब वे अपनी जिव्हा में तीखा बाना धंसा लेते हैं और देवी कृपा से रक्त की एक बूँद भी नहीं गिरती।
  • अगरिया पत्थर को पिघलाकर लोहे से बर्तन, औजार बनाने वाली शिल्पी वर्ग की जनजाति है।


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