सत्येन्द्रनाथ सेन

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सत्येन्द्रनाथ सेन (जन्म- 1894, फरीदपुर, पूर्वी बंगाल) क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने गांधी जी की सर्वोदय की भावना से प्रेरित होकर जनसेवा करने के विचार से असेंबली की सदस्यता त्याग दी थी।

परिचय

क्रांतिकारी सत्येंद्रनाथ सेन का जन्म पूर्वी बंगाल के फरीदपुर में 1894 ई. में हुआ था। शिक्षा के लिये वे बंगवासी कॉलेज, कोलकाता में भर्ती हुए, लेकिन विवेकानंद की शिक्षाओं की प्रेरणा तथा एम. एन. राय और जतींद्रनाथ मुखर्जी (बाघा जतिन) के संपर्क के कारण शिक्षा को बीच में ही छोड़कर वे क्रांतिकारी 'युगांतर पार्टी' में सम्मिलित हो गए। उन्होंने अनेक क्रांतिकारी कार्यों में भाग लिया और 1915 के शिवपुर कांड में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1921 के असहयोग आंदोलन में सजा होने पर उन्होंने राजनीतिक बंदियों के प्रति दुर्व्यवहार का विरोध करते हुए जेल में 61 दिन की भूख हड़ताल की।[1]

जनसेवा

जेलों में लंबे समय तक बंद रखे जाने के बाद सत्येन्द्रनाथ सेन बंगाल असेंबली के सदस्य चुने गए थे। उन्होंने गांधी जी की सर्वोदय की भावना से प्राभावित होकर लोक सेवा करने के विचार से असेंबली की सदस्यता त्याग दी। वे पूर्वी बंगाल के अल्पसंख्यकों की सहायता करना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान की सरकार ने उन्हें शांतिपूर्वक स्वधर्मियों की सेवा नहीं करने दी।

जेल यातना

सत्येन्द्रनाथ सेन को 1926 से गिरफ्तारी कार्यक्रम के दौरान बंगाल, देवली कैंप जेल तथा पंजाब की जेलों में लंबे समय तक बंद रखा गया। उन्हें वहाँ तीन बार जेल में बंद किया गया। तीसरी बार जेल में बंद के दौरान उन्हें क्षय रोग हो गया।

शहादत

क्षय रोग हो जाने पर अंग्रेज़ सरकार ने सत्येन्द्रनाथ सेन की चिकित्सा की उपेक्षा की और इसी रोग के कारण जेल में ही उनका निधन हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 892 |

बाहरी कड़ियाँ

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