एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

हितेन्द्र देसाई

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
हितेन्द्र देसाई
हितेन्द्र देसाई
पूरा नाम हितेन्द्र कन्हैयालाल देसाई
जन्म 9 अगस्त, 1915
जन्म भूमि सूरत
मृत्यु 12 सितम्बर, 1993
मृत्यु स्थान अहमदाबाद, गुजरात
अभिभावक पिता- कानजी भाई देसाई
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ
पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
पद मुख्यमंत्री (गुजरात, 3 बार)
कार्य काल प्रथम-20 सितंबर, 1965 से 3 अप्रैल, 1967 तक

द्वितीय-3 अप्रैल, 1967 से 6 अप्रैल, 1971 तक
तृतीय-7 अप्रैल, 1971 से 12 मई, 1971 तक

अन्य जानकारी सन 1947 में आजादी मिलने के बाद हितेन्द्र देसाई को 'सूरत म्युनिसिपल कॉरपोरेशन' का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया था। वह करीब 10 साल तक इस पद पर रहे।

हितेन्द्र कन्हैयालाल देसाई (अंग्रेज़ी: Hitendra Kanaiyalal Desai, जन्म- 9 अगस्त, 1915; मृत्यु- 12 सितम्बर, 1993) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा गुजरात के तीसरे मुख्यमंत्री थे। वह तीन बार- 20 सितंबर, 1965 से 3 अप्रैल, 1967 तक; 3 अप्रैल, 1967 से 6 अप्रैल, 1971 तक और फिर 7 अप्रैल, 1971 से 12 मई, 1971 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे।

परिचय

9 अगस्त, 1915 के रोज़ सूरत में जन्मे हितेन्द्र देसाई की परवरिश आजादी आंदोलन की छांव में हुई। उनके पिता कांग्रेस के नेता हुआ करते थे। 12 मार्च, 1930 के दिन गांधीजी साबरमती से दांडी के लिए निकल पड़े। उनके साथ 77 और सत्याग्रही थे। आन्दोलनकारियों की इस टोली को हर दिन 10 मील की पैदल यात्रा करते हुए 6 अप्रैल को सूरत जिले के दांडी गांव पहुंचना था। अप्रैल की पहली तारीख को गांधी सूरत पहुंचे। यहां उनका भव्य स्वागत हुआ। 'सूरत जिला कांग्रेस कमिटी' के अध्यक्ष कानजी भाई देसाई का 15 वर्ष का लड़का भी था। सविनय अवज्ञा आंदोलन का ऐलान होने के साथ ही उसने स्कूल जाना छोड़ दिया। यह बतौर सत्याग्रही उसकी पहली जेल यात्रा थी। इस लड़के का नाम था- हितेन्द्र कन्हैयालाल देसाई। उसे दांडी मार्च के 35 साल बाद बतौर मुख्यमंत्री सूबे की कमान संभालनी थी।[1]

1930 के सविनय अवज्ञा के बाद हितेन्द्र देसाई की पढ़ाई फिर से शुरू हुई। 1933 में उन्होंने सूरत से मैट्रिक पास की। आगे की पढ़ाई के लिए बॉम्बे यूनिवर्सिटी भेजा गया। यहां से उन्होंने अर्थशास्त्र में बी. ए. किया। इसके बाद उस दौर की रवायत के मुताबिक़ उन्होंने कानून की पढ़ाई में दाखिला ले लिया। 1937 में हितेन्द्र बॉम्बे यूनिवर्सिटी से वकील बनकर निकले। वह बॉम्बे हाईकोर्ट में वकील हो गए। वकालत चल निकली। इधर कांग्रेस में भी सक्रियता बनी रही।

जेल यात्रा

1941 में जब गांधीजी ने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान व्यक्तिगत सत्याग्रह की घोषणा की, हितेन्द्र भाई देसाई भी उस आंदोलन में कूद पड़े। इसके चलते उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। करीब तीन महीने जेल में बिताने के बाद उन्हें छोड़ा गया। 9 अगस्त 1942, मुम्बई के गवालिया टैंक मैदान से भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा हुई। गांधीजी के मुताबिक़ यह आजादी के लिए आर-पार की लड़ाई थी। हितेन्द्र देसाई बॉम्बे में थे। 9 अगस्त को गांधीजी को गिरफ्तार किए जाने के बाद बॉम्बे शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हो गई। जवाब में अंग्रेज़ सरकार ने कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करना शुरू किया। ऐसे में हितेन्द्र देसाई ने खुद को फिर से जेल में पाया। करीब दो साल जेल में रहने के बाद हितेन्द्र देसाई रिहा हुए।

राजनीतिक सफर

1947 में आजादी मिलने के बाद हितेन्द्र देसाई को सूरत म्युनिसिपल कॉरपोरेशन का वाइस प्रेसिडेंट बनाया गया। वह करीब 10 साल तक इस पद पर रहे। 1957 में महागुजरात आंदोलन के दौर में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के चुनाव हुए। हितेन्द्र देसाई सूरत की मांगरोल विधानसभा से इस चुनाव में उतरे। उनके सामने थे निर्दलीय उम्मीदवार दत्तात्रेय पंगारकर। हितेन्द्र देसाई ने यह चुनाव 14,404 के मुकाबले 32,672 वोटों से जीत लिया। 1960 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी से अलग गुजरात राज्य बनने के बाद जीवराज मेहता इसके पहले मुख्यमंत्री बने। जीवराज मेहता के मंत्रिमंडल में हितेन्द्र देसाई को भी जगह मिली। उन्हें शिक्षा, कानून, कृषि, जंगलात, नशाबंदी, समाज कल्याण, पुनर्वास, राजस्व के मंत्रायल सौंपे गए।[1]

1962 के विधानसभा चुनाव में वह ओलपाड सीट से मैदान में उतरे। उनके सामने थे स्वतंत्र पार्टी के बाबूभाई पटेल। हितेन्द्र देसाई को मिले 22,201 वोट। वहीं बाबूभाई पटेल महज़ 12,266 का आंकड़े पर पहुंच पाए। वह फिर से जीवराज मेहता के काबीना में शामिल हुए। उन्हें राजस्व विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई। 1963 में हुए सत्ता परिवर्तन ने हितेन्द्र देसाई का कद और बढ़ाया। मोरारजी देसाई के आशीर्वाद से सत्ता में आए बलवंतराय मेहता के मंत्रिमंडल में उन्हें गृह मंत्री का ओहदा दिया गया।

संकटग्रस्त कार्यकाल

1965 में जब हितेन्द्र भाई देसाई मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने बलवंतराय मेहता से विरासत में मिले मंत्रिमंडल में कोई बदलाव नहीं किया। उस समय उनके मंत्रिमंडल में दो ऐसे मंत्री हुआ करते थे, जिन्हें आगे चलकर मुख्यमंत्री बनना था। ये नेता थे, बाबूभाई पटेल जो उस समय पीडब्लूडी मंत्री हुआ करते थे और चिमनभाई पटेल जिनके पास उस समय परिवहन मंत्रालय था। 1967 के विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद हितेन्द्र देसाई की असल परीक्षा शुरू हुई 1969 में। अक्सर राजनीति के जानकार कहते हैं कि 2002 के बाद गुजरात के राजनीतिक नक्शे पर एक चीज बदल गई। सितंबर 1969 में अहमदाबाद में भयंकर सांप्रदायिक दंगे हुए, लेकिन इसकी भूमिका लिखी जानी शुरू हो गई थी दिसम्बर 1968 में।

भरूच का भूकंप

सन 1969 की सांप्रदायिक हिंसा से राज्य सरकार उबर ही रही थी कि 1970 में भरूच शहर भयंकर भूकंप की चपेट में आ गया। 23 मार्च 1970 को रात एक बजकर 52 मिनट पर भरूच में 5.4 तीव्रता वाला भूकंप आया। लोग घरों में सो रहे थे। करीब 2500 घर जमींदोज हो गए। 23 लोगों की मलबे में दबकर मौत हो गई। करीब एक लाख से ज्यादा लोग बेघर हुए। हितेन्द्र देसाई के लिए यह कुदरती आपदा नई चुनौती बनकर उभरा। इतनी परेशानियों के बावजूद हितेन्द्र देसाई का कार्यकाल एक चीज के लिए याद किया जा सकता है। उन्होंने आधुनिक गुजरात के औद्योगिकीकरण की नींव रखी। उन्होंने राज्य में राजकोट यूनिवर्सिटी, कृषि यूनिवर्सिटी और आयुर्वेद यूनिवर्सिटी शुरू की। महागुजरात आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों की याद में शहीद स्मारक बनाया। गांधीनगर की बसावट की नींव रखी। राज्य में सिंचाई व्यवस्था कायम करने की शुरुआत करने का श्रेय भी उन्हीं को दिया जा सकता है।[1]

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कडियाँ

संबंधित लेख

भारतीय राज्यों में पदस्थ मुख्यमंत्री
क्रमांक राज्य मुख्यमंत्री तस्वीर पार्टी पदभार ग्रहण
1. अरुणाचल प्रदेश पेमा खांडू
Pema-Khandu.jpg
भाजपा 17 जुलाई, 2016
2. असम हिमंता बिस्वा सरमा
Himanta-Biswa-Sarma.jpg
भाजपा 10 मई, 2021
3. आंध्र प्रदेश वाई एस जगनमोहन रेड्डी
Y-S-Jaganmohan-Reddy.jpg
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 30 मई, 2019
4. उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ
Yogi-Adityanath-1.jpg
भाजपा 19 मार्च, 2017
5. उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी
Pushkar-Singh-Dhami.jpg
भाजपा 4 जुलाई, 2021
6. ओडिशा नवीन पटनायक
Naveen-Patnaik.jpg
बीजू जनता दल 5 मार्च, 2000
7. कर्नाटक सिद्धारमैया
Siddaramaiah.jpg
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 20 मई, 2023
8. केरल पिनाराई विजयन
Pinarayi Vijayan.jpg
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 25 मई, 2016
9. गुजरात भूपेन्द्र पटेल
Bhupendra-Patel.jpg
भाजपा 12 सितम्बर, 2021
10. गोवा प्रमोद सावंत
Pramod-Sawant.jpg
भाजपा 19 मार्च, 2019
11. छत्तीसगढ़ विष्णु देव साय
Vishnu-Deo-Sai.jpg
भारतीय जनता पार्टी 13 दिसम्बर, 2023
12. जम्मू-कश्मीर रिक्त (राज्यपाल शासन) लागू नहीं 20 जून, 2018
13. झारखण्ड हेमन्त सोरेन
Hemant-Soren.JPG
झारखंड मुक्ति मोर्चा 29 दिसम्बर, 2019
14. तमिल नाडु एम. के. स्टालिन
M-K-Stalin.jpg
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम 7 मई, 2021
15. त्रिपुरा माणिक साहा
Manik-Saha.jpeg
भाजपा 15 मई, 2022
16. तेलंगाना अनुमुला रेवंत रेड्डी
Revanth-Reddy.jpg
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस 7 दिसंबर, 2023
17. दिल्ली अरविन्द केजरीवाल
KEJRIWAL.jpg
आप 14 फ़रवरी, 2015
18. नागालैण्ड नेफियू रियो
Neiphiu-Rio.jpg
एनडीपीपी 8 मार्च, 2018
19. पंजाब भगवंत मान
Bhagwant-Mann.jpg
आम आदमी पार्टी 16 मार्च, 2022
20. पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी
Mamata Banerjee.jpg
तृणमूल कांग्रेस 20 मई, 2011
21. पुदुचेरी एन. रंगास्वामी
N-Rangasamy.jpg
कांग्रेस 7 मई, 2021
22. बिहार नितीश कुमार
Nitish-Kumar-1.jpg
जदयू 27 जुलाई, 2017
23. मणिपुर एन. बीरेन सिंह
N.Biren-Singh-1.jpg
भाजपा 15 मार्च, 2017
24. मध्य प्रदेश मोहन यादव
Mohan-Yadav.jpg
भाजपा 13 दिसंबर, 2023
25. महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे
Eknath-Shinde.jpg
शिव सेना 30 जून, 2022
26. मिज़ोरम लालदुहोमा
Lalduhoma.jpg
जोरम पीपल्स मूवमेंट 8 दिसम्बर, 2023
27. मेघालय कॉनराड संगमा
Conrad-Sangma-1.jpg
एनपीपी 6 मार्च, 2018
28. राजस्थान भजन लाल शर्मा
Bhajan-Lal-Sharma.jpg
भारतीय जनता पार्टी 15 दिसम्बर, 2023
29. सिक्किम प्रेम सिंह तमांग
Prem-Singh-Tamang.jpg
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा 27 मई, 2019
30. हरियाणा नायब सिंह सैनी
Nayab-Singh-Saini.jpg
भाजपा 12 मार्च, 2024
31. हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुक्खू
Sukhvinder-Singh-Sukhu.jpg
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 11 दिसम्बर, 2022