प्रजापति मिश्र
प्रजापति मिश्र
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पूरा नाम | प्रजापति मिश्र |
जन्म | 2 अक्तूबर, 1898 |
जन्म भूमि | ज़िला चंपारन, बिहार |
मृत्यु | 1952 |
अभिभावक | श्री शीतलादत्त मिश्र और श्रीमती देवकी मिश्र |
पति/पत्नी | केतकी मिश्र |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी |
आंदोलन | असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन |
जेल यात्रा | 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में प्रजापति मिश्र गिरफ्तार हुए थे। |
शिक्षा | स्नातक डिग्री |
अन्य जानकारी | स्वतंत्रता के बाद प्रजापति मिश्र 1946 से 1935 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे थे। आचार्य विनोबा के भूदान यज्ञ में भी बहुत सक्रिय कार्यकर्ता थे। |
प्रजापति मिश्र (अंग्रेज़ी: Prajapati Mishra, जन्म- 2 अक्तूबर, 1898, ज़िला चंपारन, बिहार; मृत्यु- 1952) बिहार के प्रमुख गाँधीवादी रचनात्मक कार्यकर्ता और स्वतंत्रता सेनानी थे। ये असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हुए थे। प्रजापति मिश्र ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और गिरफ्तार होने पर जेल की सजा भी भोगी थी। स्वतंत्रता के बाद वे 1946 से 1935 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे थे।[1]
जन्म एवं परिचय
प्रजापति मिश्र का जन्म चंपारन जिले में 2 अक्तूबर,1898 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम शीतलादत्त मिश्र और माता का नाम देवकी मिश्र था। प्रजापति मिश्र पटना में बी.ए. में पढ़े थे। इनकी पत्नी का नाम केतकी मिश्र था। प्रजापति मिश्र बी.ए. में पढ़ रहे थे कि गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ कर दिया था। प्रजापति ने भी बीच में ही अध्ययन छोड़कर उस आंदोलन में सम्मिलित हो गए थे।
गांधीवादी कार्यकर्ता
प्रजापति मिश्र ऊपर लोकमान्य तिलक की रचनाओं का और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व का बड़ा प्रभाव पड़ा था। बेतिया के निकट आश्रम बनाकर वे स्वदेशी, बुनियादी शिक्षा आदि का प्रचार करते रहे थे। 1938-1939 में ग्राम सुधार आयुक्त के पद पर रहते हुए प्रजापति मिश्र ने किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए अनेक काम किए थे। 1940 के व्यक्तिगत सत्याग्रह में प्रजापति मिश्र गिरफ्तार हुए थे। 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन को सफल बनाने में पूरी शक्ति से जुटे और गिरफ्तार होने पर जेल की सजा भोगी थी।[1]
विधान सभा के सदस्य
स्वतंत्रता के बाद प्रजापति मिश्र 1946 से 1935 तक बिहार विधान सभा के सदस्य रहे थे। आचार्य विनोबा के भूदान यज्ञ में भी बहुत सक्रिय कार्यकर्ता थे।
निधन
1952 में प्रजापति मिश्र का देहांत हो गया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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