गोकुलचन्द नारंग
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गोकुलचन्द नारंग
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पूरा नाम | गोकुलचन्द नारंग |
जन्म | नवम्बर 1878 ई. |
मृत्यु | 1960 ई. |
कर्म-क्षेत्र | स्वंतत्रता सेनानी |
शिक्षा | पी.एच.डी. और वकालत |
विद्यालय | पंजाब विश्वविद्यालय, कोलकाता विश्वविद्यालय, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय |
प्रसिद्धि | वे हिन्दू महासभा में भी सक्रिय रहे और उसके अखिल भारतीय उपाध्यक्ष थे। |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | गोकुलचन्द नारंग 1920 में पंजाब कौंसिल के सदस्य चुने गये और उनकी यह सदस्य्ता 1946 तक बनी रही। |
गोकुलचन्द नारंग आर्यसमाजी नेता जिनका जन्म नवम्बर 1878 ई. में पंजाब के गुज़रांवाला ज़िले [1]में हुआ था। उन्होंने डी.ए.वी. कालेज, लाहौर, पंजाब विश्वविद्यालय और कोलकाता विश्वविद्यालय से शिक्षा पाई। फिर वे उच्च शिक्षा के लिये 1907 में इंग्लैण्ड गये।
- ऑक्सफोर्ड में पढ़ने के बाद स्विटज़रलैण्ड से पी.एच.डी. और क़ानून की डिग्री लेकर भारत वापस आये।
- डी.ए.वी.कालेज, लाहौर में 6 वर्ष तक अध्ययन किया।
- पंजाब के आर्य समाज के अधिकांश नेता राजनीति में भी हिस्सा लेते थे। नारंग भी उसमें रुचि लेने लगे और लाला लाजपत राय आदि से उनकी निकटता हो गई।
- जलियांवाला बाग़ हत्याकांड की निन्दा करने पर वे गिरफ्तार कर लिये गये थे।
- गोकुलचन्द नारंग 1920 में पंजाब कौंसिल के सदस्य चुने गये और उनकी यह सदस्य्ता 1946 तक बनी रही। साथ-साथ वे लाहौर हाईकोर्ट मे वकालत भी करते थे।
- 1930 में उन्हें पंजाब के उद्योग और स्थानीय स्वशासन का मंत्री बनाया गया था।
- वे आस्ट्रेलिया और कनाडा की भांति स्वायत्त शासन के पक्षपाती थे।
- कांग्रेस की नीतियों का वे विरोध करते थे।
- वे हिन्दू महासभा में भी सक्रिय रहे और उसके अखिल भारतीय उपाध्यक्ष थे।
- उन्होंने अनेक पत्रों का सम्पादन किया।
- 1947 के बाद वे कांग्रेस की तथाकथित 'मुस्लिम तुष्टीकरण नीति' की कटु आलोचना करते रहे।
- 1960 में डॉ. गोकुलचन्द नारंग का देहांत हो गया।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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