"वालर नृत्य": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
[[चित्र:Valar-Folk-Dance-Rajasthan.jpg|thumb|250px| वालर नृत्य पर जारी [[डाक टिकट]]]] | [[चित्र:Valar-Folk-Dance-Rajasthan.jpg|thumb|250px| वालर नृत्य पर जारी [[डाक टिकट]]]] | ||
'''वालर नृत्य''' [[गरासिया जनजाति]] द्वारा किया जाने वाला [[नृत्य]] है। यह नृत्य स्त्री-पुरुष द्वारा मिलकर किया जाता है। नृत्य को बिना [[वाद्य यंत्र]] के धीमी गति से किया जाता है।<br /> | '''वालर नृत्य''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Valar Dance'') [[गरासिया जनजाति]] द्वारा किया जाने वाला [[नृत्य]] है। यह नृत्य स्त्री-पुरुष द्वारा मिलकर किया जाता है। नृत्य को बिना [[वाद्य यंत्र]] के धीमी गति से किया जाता है।<br /> | ||
<br /> | <br /> | ||
*वालर नृत्य में दो अर्द्धवृत बनते हैं, बाहर के अर्द्धवृत में पुरुष तथ अन्दर के अर्द्धवृत में महिलाएं होती हैं। | *वालर नृत्य में दो अर्द्धवृत बनते हैं, बाहर के अर्द्धवृत में पुरुष तथ अन्दर के अर्द्धवृत में महिलाएं होती हैं। | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
*पडियाँ कौढी काल जैसे गीतों के साथ यह नृत्य सम्पन होता है। | *पडियाँ कौढी काल जैसे गीतों के साथ यह नृत्य सम्पन होता है। | ||
*नृत्य [[विवाह]] के अलावा [[होली]] व [[गणगौर]] पर भी किया जाता है। | *नृत्य [[विवाह]] के अलावा [[होली]] व [[गणगौर]] पर भी किया जाता है। | ||
{{seealso|गरासिया जनजाति|राजस्थान की संस्कृति|राजस्थान की जनजातियाँ}} | {{seealso|गरासिया जनजाति|राजस्थान की संस्कृति|राजस्थान की जनजातियाँ}} |
08:57, 16 मार्च 2024 के समय का अवतरण

वालर नृत्य (अंग्रेज़ी: Valar Dance) गरासिया जनजाति द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। यह नृत्य स्त्री-पुरुष द्वारा मिलकर किया जाता है। नृत्य को बिना वाद्य यंत्र के धीमी गति से किया जाता है।
- वालर नृत्य में दो अर्द्धवृत बनते हैं, बाहर के अर्द्धवृत में पुरुष तथ अन्दर के अर्द्धवृत में महिलाएं होती हैं।
- नृत्य का प्रारम्भ एक पुरुष हाथ में छाता या तलवार लेकर करता है।
- इस नृत्य में पुरुष-स्त्रियाँ गीत के साथ नृत्य प्रारम्भ करते हैं। पुरुषों के गीत की पंक्ति की समाप्ति से एक पंक्ति पहले स्त्रियाँ गीत उठा लेती हैं।
- यह नृत्य विशेषकर राजस्थान के सिरोही क्षेत्र में किया जाता है।
- इस नृत्य में नर्तक व नर्तकी अपने आगे वाले नर्तक व नर्तकी के कंधे पर अपना दायाँ हाथ रखते हैं।
- वालर नृत्य को 'गरासिया घूमर' भी कहते हैं।
- पडियाँ कौढी काल जैसे गीतों के साथ यह नृत्य सम्पन होता है।
- नृत्य विवाह के अलावा होली व गणगौर पर भी किया जाता है।
इन्हें भी देखें: गरासिया जनजाति, राजस्थान की संस्कृति एवं राजस्थान की जनजातियाँ
|
|
|
|
|