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==परिचय==
 
==परिचय==
 
मज़रूल हक्क बिहार में पटना जिले के बहपुरा नामक स्थान पर 22 दिसम्बर, 1866 में पैदा हुए थे। वे एक समुद्ध जमींदार [[परिवार]] से थे। उन्होंने 1886 में पटना काजिस्टे स्कूल से दसवीं की परीक्षा की और सन [[1887]] में उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए [[इंग्लैण्ड]] भेज दिया गया। मज़रूल हक्क को [[1891]] में वकालत के लिए बुला लिया गया। कानून में डिग्री प्राप्त करने के उपरान्त वे [[भारत]] वापिस लौट आए। मज़रूल हक्क ने न्यायिक अधिकारी के रूप में कुछ वर्षों तक नौकरी की तथा चम्पारण से अपनी वकालत शुरू कर दी।
 
मज़रूल हक्क बिहार में पटना जिले के बहपुरा नामक स्थान पर 22 दिसम्बर, 1866 में पैदा हुए थे। वे एक समुद्ध जमींदार [[परिवार]] से थे। उन्होंने 1886 में पटना काजिस्टे स्कूल से दसवीं की परीक्षा की और सन [[1887]] में उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए [[इंग्लैण्ड]] भेज दिया गया। मज़रूल हक्क को [[1891]] में वकालत के लिए बुला लिया गया। कानून में डिग्री प्राप्त करने के उपरान्त वे [[भारत]] वापिस लौट आए। मज़रूल हक्क ने न्यायिक अधिकारी के रूप में कुछ वर्षों तक नौकरी की तथा चम्पारण से अपनी वकालत शुरू कर दी।
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हक्क ने बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की। पृथक प्रान्त के रूप में उन्होंने बिहार संविधान की वकालत की हक्क पृथक निर्वाचन के विरोधी थे। [[बिहार]] में सन [[1916]] के होमरूल आन्दोलन के वे मुख्य आयोजक थे।  
 
हक्क ने बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की। पृथक प्रान्त के रूप में उन्होंने बिहार संविधान की वकालत की हक्क पृथक निर्वाचन के विरोधी थे। [[बिहार]] में सन [[1916]] के होमरूल आन्दोलन के वे मुख्य आयोजक थे।  
 
==आंदोलनों मे योगदान==
 
==आंदोलनों मे योगदान==
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==मृत्यु==
 
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मज़रूल हक्क ने अपने जीवन के अन्तिम [[दिन|दिनों]] में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया तथा [[2 जनवरी]], [[1930]] को उनका देहान्त हो गया।  
 
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12:04, 6 अप्रैल 2017 का अवतरण

माधवी
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जन्म 22 दिसम्बर, 1866
जन्म भूमि पटना ज़िला, बिहार
मृत्यु 2 जनवरी, 1930
मृत्यु स्थान पटना ज़िला, बिहार
नागरिकता भारतीय
आंदोलन असहयोग आन्दोलन, ख़िलाफ़त आन्दोलन, चम्पारण सत्याग्रह
संबंधित लेख महात्मा गांधी
अन्य जानकारी मज़रूल हक्क ने 1917 के महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह में शिरक्त दी। हक्क ने असहयोग आन्दोलन एवं ख़िलाफ़त आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभायी।
अद्यतन‎ 04:31, 06 अप्रैल-2017 (IST)

मज़रूल हक्क (अंग्रेज़ी: Mazarul Hakk, जन्म- 22 दिसम्बर, 1866, पटना ज़िला, बिहार; मृत्यु- 2 जनवरी, 1930) भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी थे। बिहार में सन 1916 के होमरूल आन्दोलन के वे मुख्य आयोजक थे। [1]

परिचय

मज़रूल हक्क बिहार में पटना जिले के बहपुरा नामक स्थान पर 22 दिसम्बर, 1866 में पैदा हुए थे। वे एक समुद्ध जमींदार परिवार से थे। उन्होंने 1886 में पटना काजिस्टे स्कूल से दसवीं की परीक्षा की और सन 1887 में उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैण्ड भेज दिया गया। मज़रूल हक्क को 1891 में वकालत के लिए बुला लिया गया। कानून में डिग्री प्राप्त करने के उपरान्त वे भारत वापिस लौट आए। मज़रूल हक्क ने न्यायिक अधिकारी के रूप में कुछ वर्षों तक नौकरी की तथा चम्पारण से अपनी वकालत शुरू कर दी।

सार्वजनिक जीवन की शुरूआत

हक्क ने बीसवीं शताब्दी के प्रथम दशक में अपने सार्वजनिक जीवन की शुरूआत की। पृथक प्रान्त के रूप में उन्होंने बिहार संविधान की वकालत की हक्क पृथक निर्वाचन के विरोधी थे। बिहार में सन 1916 के होमरूल आन्दोलन के वे मुख्य आयोजक थे।

आंदोलनों मे योगदान

मज़रूल हक्क ने 1917 के महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह में शिरक्त दी। हक्क ने असहयोग आन्दोलन एवं ख़िलाफ़त आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभायी और इतना ही नहीं वे सुल्तान से तुर्की मिलने गये। वे साम्प्रदायिक समन्वय के तीव्र हिमायती थे। हक्क ने दिघा में सदाक्त आश्रम की नींव रखी जिसका बिहार में कांग्रेस के मुख्यालय के रूप में प्रयोग किया गया। उन्होंने मदरलैण्ड की नींव रखी जिसमें स्वतंत्रता आन्दोलन की चार विचारधाराओं को स्थापित किया गया।

मृत्यु

मज़रूल हक्क ने अपने जीवन के अन्तिम दिनों में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया तथा 2 जनवरी, 1930 को उनका देहान्त हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मज़रूल हक्क कविशेर (हिंदी) क्रांति 1857। अभिगमन तिथि: 6 अप्रैल, 2017।

संबंधित लेख

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