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              वर्मा का जन्म 1897 ई. में बिजौलिया (राजस्थान) ठिकाने के एक सामान्य कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन एक अध्यापक के रूप में प्रारंभ किया, परंतु पथिक जी से संपर्क के बाद उन्होंने '''बिजौलिया किसान आंदोलन''' का नेतृत्व किया और किसानों को सामंतों के शोषण एवं उत्पीड़न का नेतृत्व किया और किसानों को सामंतों के शौषण एवं उत्पीड़न से मुक्त कराने का प्रयास किया।  
 
 
* मेवाड़ प्रजामंडल को संगठित करने में भी वर्मा जी ने अनुकरणीय कार्य किया।
 
* मेवाड़ प्रजामंडल को संगठित करने में भी वर्मा जी ने अनुकरणीय कार्य किया।
 
*स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वृह्त्तर राजस्थान के [[प्रधानमंत्री]] भी बने। इसके बाद 14 जनवरी, 1969 ई. को वर्मा जी का निधन हो गया।<ref>पुस्तक- स्वतंत्रता सेनानी कोश(गाँधीयुगीन), लेखक- डॉ. एस.एल. नागोरी, श्रीमती कांता नागोरी, पृष्ठ संख्या- 254</ref>
 
*स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वृह्त्तर राजस्थान के [[प्रधानमंत्री]] भी बने। इसके बाद 14 जनवरी, 1969 ई. को वर्मा जी का निधन हो गया।<ref>पुस्तक- स्वतंत्रता सेनानी कोश(गाँधीयुगीन), लेखक- डॉ. एस.एल. नागोरी, श्रीमती कांता नागोरी, पृष्ठ संख्या- 254</ref>
  
 
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11:09, 6 मई 2018 का अवतरण

माणिक्य लाल वर्मा (1897-1969 ई.)

वर्मा का जन्म 1897 ई. में बिजौलिया (राजस्थान) ठिकाने के एक सामान्य कायस्थ परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना जीवन एक अध्यापक के रूप में प्रारंभ किया, परंतु पथिक जी से संपर्क के बाद उन्होंने बिजौलिया किसान आंदोलन का नेतृत्व किया और किसानों को सामंतों के शोषण एवं उत्पीड़न का नेतृत्व किया और किसानों को सामंतों के शौषण एवं उत्पीड़न से मुक्त कराने का प्रयास किया।

  • मेवाड़ प्रजामंडल को संगठित करने में भी वर्मा जी ने अनुकरणीय कार्य किया।
  • स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वृह्त्तर राजस्थान के प्रधानमंत्री भी बने। इसके बाद 14 जनवरी, 1969 ई. को वर्मा जी का निधन हो गया।[1]

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  1. पुस्तक- स्वतंत्रता सेनानी कोश(गाँधीयुगीन), लेखक- डॉ. एस.एल. नागोरी, श्रीमती कांता नागोरी, पृष्ठ संख्या- 254