मुर्शिद कुली ख़ाँ

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मुर्शिद कुली ख़ाँ बंगाल का प्रथम स्वतंत्र सूबेदार था। उसे वर्ष 1717 ई. में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा इस पद पर नियुक्त किया गया था। बाद के समय में उसकी योग्यता से प्रभावित होकर बादशाह द्वारा उसे दीवान के भी सारे अधिकार प्रदान कर दिये गए थे।

  • मुर्शिद कुली ख़ाँ वर्ष 1700 से ही बंगाल का वास्तविक शासक बन बैठा था।
  • दीवान बनने के बाद ही उसने खुद को केंद्रीय नियंत्रण से पूरी तरह मुक्त कर लिया।
  • वह बादशाह को नजराने के रूप में बड़ी रकम अदा करता रहता था।
  • बादशाह औरंगज़ेब के आदेश से मुर्शिद कुली ख़ाँ अपनी राजधानी ढाका से 'मक़सूदाबाद' ले आया और नगर का नाम मुर्शिदाबाद रख दिया।
  • अपनी शासन व्यवस्था के अंतर्गत मुर्शिद कुली ख़ाँ ने नए भू-राजस्व के जरिए जागीर भूमि के बड़े भाग को 'खालसा भूमि' बना दिया और 'इजारा व्यवस्था' आरंभ की।
  • मुर्शिद कुली ख़ाँ को 'दक्षिण का टोडरमल' भी कहा जाता है।
  • यह कहा जाता है कि मुर्शिद कुली ख़ाँ का यह नियम था कि जो भी किसान अथवा ज़मींदार लगान न दे, उसको परिवार सहित मुस्लिम होना पड़ता था।


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