नलदमन
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:38, 6 जुलाई 2017 का अवतरण (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
नलदमन मुग़ल दरबार के विद्वान् अबुल फ़ज़ल के भाई कविराज फ़ैज़ी का मौलिक तथा श्रेष्ठ काव्य है, जिसे उन्होंने अकबर के आदेश पर "नल-दमयन्ती" के उपाख्यान को लेकर हिजरी 1003 (1594-95 ई.) में चार महीने में लिखकर समाप्त किया था।[1]
- बादशाह अकबर, फ़ैज़ी और अबुल फ़ज़ल अपनी जन्म भूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते थे, उसकी मिट्टी को चूमते थे। भारत की हर एक चीज इन तीनों को प्रिय थी।
- निजामी, जामी आदि फ़ारसी कवियों ने अपने यहाँ के कथानकों को लेकर महाकाव्य रचे थे।
- अकबर चाहता था कि हमारे देश के कथानक पर भी काव्य लिखे जाएँ। इसीलिए फ़ैज़ी ने 'नलदमन' काव्य रचा।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 295 |