"विचित्र नारायण शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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रचनात्मक कार्यों के लिए 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित विचित्र नारायण शर्मा का जन्म [[10 मई]] [[1898]] को पैतृक गांव नवादा ([[गढ़वाल]]-[[उत्तरांचल]]) में हुआ था। हाई स्कूल तक उनकी शिक्षा [[देहरादून]] में हुई। उसके बाद वे [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] में प्रविष्ट हुए। [[गांधीजी]] के [[असहयोग आंदोलन]] के आह्वान पर [[आचार्य कृपलानी]] के नेतृत्व में (बी. ए. चतुर्थ वर्ष में विद्यालय छोड़कर) असहयोगी बन गए। उन्होंने [[स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन|स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों]] में भाग लिया और प्रत्येक आंदोलन में गिरफ्तार हुए।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=787|url=}}</ref> | रचनात्मक कार्यों के लिए 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित विचित्र नारायण शर्मा का जन्म [[10 मई]] [[1898]] को पैतृक गांव नवादा ([[गढ़वाल]]-[[उत्तरांचल]]) में हुआ था। हाई स्कूल तक उनकी शिक्षा [[देहरादून]] में हुई। उसके बाद वे [[काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] में प्रविष्ट हुए। [[गांधीजी]] के [[असहयोग आंदोलन]] के आह्वान पर [[आचार्य कृपलानी]] के नेतृत्व में (बी. ए. चतुर्थ वर्ष में विद्यालय छोड़कर) असहयोगी बन गए। उन्होंने [[स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन|स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों]] में भाग लिया और प्रत्येक आंदोलन में गिरफ्तार हुए।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=787|url=}}</ref> | ||
==योगदान== | ==योगदान== | ||
− | विचित्र नारायण शर्मा पढ़ाई छोड़कर खादी के काम से जुड़े और [[आचार्य कृपलानी|कृपलानी जी]] के सहयोगी बन कर गांधी आश्रम की स्थापना में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद वे जीवनपर्यंत [[स्वतंत्रता संग्राम]] और खादी ग्राम उद्योग के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करते रहे। पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में | + | विचित्र नारायण शर्मा पढ़ाई छोड़कर खादी के काम से जुड़े और [[आचार्य कृपलानी|कृपलानी जी]] के सहयोगी बन कर गांधी आश्रम की स्थापना में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद वे जीवनपर्यंत [[स्वतंत्रता संग्राम]] और खादी ग्राम उद्योग के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करते रहे। पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें जो पेंशन मिलती थी उसे वे गांधी आश्रम में जमा कर देते थे। आश्रम से उन्हें आजीविका के लिए जो धन मिलता था उसी से अपना काम चलाते थे। |
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− | विचित्र भाई के नाम से पुकारे जाने वाले विचित्र नारायण शर्मा का [[31 मई]] [[1998]] को निधन हो गया। | + | 'विचित्र भाई' के नाम से पुकारे जाने वाले विचित्र नारायण शर्मा का [[31 मई]] [[1998]] को निधन हो गया। |
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08:22, 9 फ़रवरी 2022 के समय का अवतरण
विचित्र नारायण शर्मा
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पूरा नाम | विचित्र नारायण शर्मा |
अन्य नाम | विचित्र भाई |
जन्म | 10 मई, 1898 |
जन्म भूमि | गढ़वाल, उत्तरांचल |
मृत्यु | 31 मई, 1998 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ |
पुरस्कार-उपाधि | 'जमुना लाल बजाज पुरस्कार', 1993 |
अन्य जानकारी | पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में विचित्र नारायण शर्मा को जो पेंशन मिलती थी, उसे वे गांधी आश्रम में जमा कर देते थे। आश्रम से उन्हें आजीविका के लिए जो धन मिलता था, उसी से अपना काम चलाते थे। |
विचित्र नारायण शर्मा (अंग्रेज़ी: Vichitra Narain Sharma, जन्म- 10 मई, 1898, गढ़वाल, उत्तरांचल; मृत्यु- 31 मई, 1998) 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनीतिज्ञ थे। विचित्र नारायण शर्मा 1952,1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्य चुने गए। गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर संपूर्णानंद और चंद्रभान गुप्त ने उन्हें अपने मंत्रिमंडलों का सदस्य बनाया परंतु खादी से उन्होंने अपना नाता बनाये रखा।
परिचय
रचनात्मक कार्यों के लिए 'जमना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित विचित्र नारायण शर्मा का जन्म 10 मई 1898 को पैतृक गांव नवादा (गढ़वाल-उत्तरांचल) में हुआ था। हाई स्कूल तक उनकी शिक्षा देहरादून में हुई। उसके बाद वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए। गांधीजी के असहयोग आंदोलन के आह्वान पर आचार्य कृपलानी के नेतृत्व में (बी. ए. चतुर्थ वर्ष में विद्यालय छोड़कर) असहयोगी बन गए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलनों में भाग लिया और प्रत्येक आंदोलन में गिरफ्तार हुए।[1]
योगदान
विचित्र नारायण शर्मा पढ़ाई छोड़कर खादी के काम से जुड़े और कृपलानी जी के सहयोगी बन कर गांधी आश्रम की स्थापना में उन्होंने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। इसके बाद वे जीवनपर्यंत स्वतंत्रता संग्राम और खादी ग्राम उद्योग के प्रचार-प्रसार के लिए कार्य करते रहे। पूर्व विधायक और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में उन्हें जो पेंशन मिलती थी उसे वे गांधी आश्रम में जमा कर देते थे। आश्रम से उन्हें आजीविका के लिए जो धन मिलता था उसी से अपना काम चलाते थे।
राजनीतिक जीवन
विचित्र नारायण शर्मा 1952,1957 और 1962 में उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सदस्य चुने गए। गोविंद बल्लभ पंत, डॉक्टर संपूर्णानंद और चंद्रभान गुप्त ने उन्हें अपने मंत्रिमंडलों का सदस्य बनाया परंतु खादी से उन्होंने अपना नाता बनाये रखा। उनके जीवन भर के रचनात्मक कार्यों का सम्मान करते हुए 1993 में उन्हें 'जमुना लाल बजाज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
'विचित्र भाई' के नाम से पुकारे जाने वाले विचित्र नारायण शर्मा का 31 मई 1998 को निधन हो गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 787 |
बाहरी कड़ियाँ
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