जगजीवन राम

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बाबू जगजीवन राम

बाबू जगजीवन राम
अग्रणी स्वतंत्रता सेनानी बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार में आरा के नजदीक चंदवा में हुआ। जगजीवन राम ने अपने नाम के अनुरूप जीवन में कभी हार नहीं मानी और भारतीय राजनीति में एक अमिट हस्ती बन गए।

जीवन परिचय

  • जगजीवन राम ने 1928 में कोलकाता के वेलिंगटन स्क्वेयर में एक विशाल मजदूर रैली का आयोजन किया था जिसमें लगभग 50 हज़ार लोग शामिल हुए।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस तभी भांप गए थे कि जगजीवन राम में एक बड़ा नेता बनने के तमाम गुण मौजूद हैं।[1]
  • महात्मा गांधी के आह्वान पर भारत छोड़ो आंदोलन में भी जगजीवन राम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह उन बड़े नेताओं में शामिल थे जिन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत को झोंकने के अंग्रेज़ों के फैसले की निन्दा की थी। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा।[1]
  • वर्ष 1946 में वह जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। भारत के पहले मंत्रिमंडल में उन्हें श्रम मंत्री का दर्जा मिला और 1946 से 1952 तक इस पद पर रहे।
  • जगजीवन राम 1952 से 1986 तक संसद सदस्य रहे। 1956 से 1962 तक उन्होंने रेल मंत्री का पद संभाला। 1967 से 1970 और फिर 1974 से 1977 तक वह कृषि मंत्री रहे।
  • इतना ही नहीं 1970 से 1971 तक जगजीवन राम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। 1970 से 1974 तक उन्होंने देश के रक्षामंत्री के रूप में काम किया।
  • 23 मार्च, 1977 से 22 अगस्त, 1979 तक वह भारत के उप प्रधानमंत्री भी रहे।
  • आपातकाल के दौरान वर्ष 1977 में वह कांग्रेस से अलग हो गए और 'कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी' नाम की पार्टी का गठन किया और जनता गठबंधन में शामिल हो गए। इसके बाद 1980 में उन्होंने कांग्रेस (जे) का गठन किया।

निधन

6 जुलाई, 1986 को 78 साल की उम्र में इस महान राजनीतिज्ञ का निधन हो गया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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