एडवर्ड सप्तम

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एडवर्ड सप्तम 1903 से 1911 ई. तक इंग्लैण्ड का राजा तथा भारत का सम्राट रहा। उसके राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में लॉर्ड कर्ज़न ने दिल्ली में 'दिल्ली दरबार' आयोजित किया था।

  • इंग्लैण्ड का संवैधानिक राजा होने के कारण एडवर्ड सप्तम को भारत के मामले में ब्रिटिश सरकार के भारत-मंत्री की सलाह से कार्य करना पड़ता था।
  • 1908 ई. में, जब ब्रिटिश सम्राट द्वारा भारतीय शासन को अपने हाथ में लिये 50 वर्ष पूरे हो चुके थे, एडवर्ड सप्तम ने भारतीय प्रजा तथा देशी राजाओं के नाम एक घोषणा प्रकाशित की, जिसमें विगत 50 वर्षों के दौरान ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में की गई सेवाओं का गर्वपूर्वक उल्लेख किया गया था। घोषणा के अंत में यह वादा किया गया था कि भारत में प्रतिनिधित्वपूर्ण शासन-संस्थाओं का विस्तार किया जायगा।[1]
  • इस शाही घोषणा का कार्यान्वयन 1909 ई. में 'इण्डियन कौंसिल ऐक्ट' के रूप में किया गया। इसमें उन संवैधानिक सुधारों की व्यवस्था की गयी थी, जिनकी सिफ़ारिश ब्रिटिश सरकार के भारत-मंत्री लॉर्ड मार्ले तथा भारतगवर्नर-जनरल लॉर्ड मिण्टो द्वितीय ने की थी।
  • निजी तौर पर सम्राट एडवर्ड सप्तम इन 'सुधारों' के विरुद्ध था, लेकिन एक संवैधानिक शासक के नाते उसने अपनी उत्तरदायी सरकारकी नीति और कार्यों-पर अपनी स्वीकृति देकर विवेकपूर्ण कार्य किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 65 |

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