सदर दीवानी अदालत

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सदर दीवानी अदालत की स्थापना 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्स ने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में की थी। इसका कार्य नीचे की सभी दीवानी अदालतों द्वारा किये गए मुकदमों के निर्णयों की अपील पर विचार करना था। इसकी अध्यक्षता बंगाल कौंसिल का अध्यक्ष करता था और इसमें कौंसिल के दो अन्य सदस्य भी शामिल होते थे।

  • 1773 ई. में 'रेग्युलेटिंग एक्ट' के अनुसार जब कलकत्ता में उच्चतम न्यायलय (सुप्रीम कोर्ट) की भी स्थापना हो गई, तब सदर दीवानी अदालत और उच्चतम न्यायालय के बीच अधिकार क्षेत्र सम्बन्धी विवादों को दूर करने के लिए गवर्नर-जनरल ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सर एलिजा इम्पी को ही सदर दीवानी अदालत का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
  • वारेन हेस्टिंग्स के इस प्रबन्ध की तीव्र आलोचना हुई, इसके फलस्वरूप उसे अपने इस निर्णय को निरस्त करना पड़ा।
  • दूसरी सदर दीवानी अदालत की स्थापना उत्तरी भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा अधिकृत भू भागों में उत्तरोत्तर वृद्धि होने से 1831 ई. में इलाहाबाद में हुई।
  • 1861 ई. में कलकत्ता, बम्बई और मद्रास में उच्च न्यायालयों की स्थापना हुई, तब सदर दीवानी अदालत और उच्चतम न्यायालय को भी कलकत्ता के उच्च न्यायालयों में सम्मिलित कर दिया गया।।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 461 |

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