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पन्ना नगर, उत्तरी [[मध्य प्रदेश]] राज्य, मध्य [[भारत]] में स्थित है। 1675 में [[बुंदेलखंड]] के शासक [[छत्रसाल]] द्वारा राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्त्व बढ़ गया। यहाँ स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणानाथ मंदिर (1795) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। 1921 में यहाँ नगरपालिका गठन हुआ था। इसके आसपास के क्षेत्र मुख्यत: भूतपूर्व पन्ना और आजयगढ़ रियासतों के हिस्से हैं। इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय क्षेत्र भी शामिल है, जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है। | पन्ना नगर, उत्तरी [[मध्य प्रदेश]] राज्य, मध्य [[भारत]] में स्थित है। 1675 में [[बुंदेलखंड]] के शासक [[छत्रसाल]] द्वारा राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्त्व बढ़ गया। यहाँ स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणानाथ मंदिर (1795) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। 1921 में यहाँ नगरपालिका गठन हुआ था। इसके आसपास के क्षेत्र मुख्यत: भूतपूर्व पन्ना और आजयगढ़ रियासतों के हिस्से हैं। इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय क्षेत्र भी शामिल है, जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है। | ||
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पन्ना एक ऐतिहासिक नगर यह नगर [[भारत]] के राज्य [[मध्य प्रदेश]] के उत्तरी भाग में स्थित है। [[बुंदेलखंड]] की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश [[छत्रसाल]] ने [[औरंगजेब]] की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् अपने राज्य की राजधानी बनाया। [[बहादुर शाह प्रथम|मुग़ल सम्राट बहादुरशाह]] ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है। स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था। पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में '''पर्णा''' भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है। | पन्ना एक ऐतिहासिक नगर यह नगर [[भारत]] के राज्य [[मध्य प्रदेश]] के उत्तरी भाग में स्थित है। [[बुंदेलखंड]] की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश [[छत्रसाल]] ने [[औरंगजेब]] की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् अपने राज्य की राजधानी बनाया। [[बहादुर शाह प्रथम|मुग़ल सम्राट बहादुरशाह]] ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है। स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था। पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं [[सदी]] में '''पर्णा''' भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है। | ||
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पन्ना नगर, उत्तरी मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत में स्थित है। 1675 में बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल द्वारा राजधानी बनाए जाने के कारण इस शहर का महत्त्व बढ़ गया। यहाँ स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणानाथ मंदिर (1795) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। 1921 में यहाँ नगरपालिका गठन हुआ था। इसके आसपास के क्षेत्र मुख्यत: भूतपूर्व पन्ना और आजयगढ़ रियासतों के हिस्से हैं। इसमें पन्ना श्रृंखला नामक पर्वतीय क्षेत्र भी शामिल है, जो विंध्य श्रृंखला की शाखा है।
इतिहास
पन्ना एक ऐतिहासिक नगर यह नगर भारत के राज्य मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित है। बुंदेलखंड की रियासत के रूप में इस नगर को बुंदेला नरेश छत्रसाल ने औरंगजेब की मृत्यु (1707 ई.) के पश्चात् अपने राज्य की राजधानी बनाया। मुग़ल सम्राट बहादुरशाह ने 1708 ई.में छत्रसाल की सत्ता को मान लिया। पन्ना में स्थित ऐतिहासिक महत्त्व के भवनों में संगमरमर के गुंबद वाला स्वामी प्राणनाथ मंदिर (1795 ई.) और श्री बलदेवजी मंदिर शामिल हैं। पन्ना में पद्मावती देवी का एक मंदिर है, जो उत्तर-पश्चिम में स्थित एक नाले के पास आज भी स्थित है। स्थानीय जनश्रुति है कि प्राचीन काल में पन्ना की बस्ती नाले के उस पार थी जहाँ राजगौंड और कोल लोगों का राज्य था। पन्ना से 2 मील उत्तर की ओर महाराज छत्रसाल का पुराना महल आज भी खण्डहर रूप में विद्यमान है। पन्ना को अठारहवीं-उन्नीसवीं सदी में पर्णा भी कहते थे। यह नाम तत्कालीन राज्यपत्रों में उल्लिखित है।
उद्योग
पन्ना में हीरे की महत्त्वपूर्ण ख़ानें हैं, जिनमें 17 वीं शताब्दी से खुदाई हो रही है। यह भारत में हीरा उत्पादन करने वाला एकमात्र खदान क्षेत्र है। पन्ना कृषि उत्पादों, इमारती लकड़ियों और वस्त्र व्यापार का केंद्र है; हथकरघा व बुनाई यहाँ के मुख्य उद्योग हैं। चावल, गेहूं, ज्वार, और तिलहन यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। यहाँ कई मत्स्यपालन केंद्र भी हैं।
महाविद्यालय
पन्ना में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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