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*अत: जहाँगीर ने बंगाल के तत्कालीन सूबेदार कुतुबुद्दीन कोका को शेर अफ़ग़ान को बन्दी बनाकर [[दिल्ली]] भेजने का आदेश दिया। | *अत: जहाँगीर ने बंगाल के तत्कालीन सूबेदार कुतुबुद्दीन कोका को शेर अफ़ग़ान को बन्दी बनाकर [[दिल्ली]] भेजने का आदेश दिया। | ||
*शेर अफ़ग़ान इस प्रकार अपने को बन्दी बनाये जाने का प्रतिरोध किया। | *शेर अफ़ग़ान ने इस प्रकार अपने को बन्दी बनाये जाने का प्रतिरोध किया। | ||
*इसके फलस्वरूप एक युद्ध हुआ और इस युद्ध में कुतुबुद्दीन और शेर अफ़ग़ान दोनों ही मारे गये। | *इसके फलस्वरूप एक युद्ध हुआ और इस युद्ध में कुतुबुद्दीन और शेर अफ़ग़ान दोनों ही मारे गये। | ||
*शेर अफ़ग़ान की विधवा पत्नी मेहरुन्निसा और उसकी एकमात्र पुत्री को मुग़ल दरबार में भेज दिया गया। | *शेर अफ़ग़ान की विधवा पत्नी मेहरुन्निसा और उसकी एकमात्र पुत्री को मुग़ल दरबार में भेज दिया गया। |
11:47, 5 नवम्बर 2011 के समय का अवतरण
शेर अफ़ग़ान एक साहसी ईरानी नवयुवक था। वह मुग़ल साम्राज्य में जहाँगीर के प्रारम्भिक दिनों के शासनकाल में बर्दवान का जागीरदार था। शेर अफ़ग़ान 'मेहरुन्निसा' (नूरजहाँ) का पहला पति था। उसकी मृत्यु के बाद जहाँगीर ने मेहरुन्निसा से 1611 ई. में विवाह कर उसे अपनी बेगम बना लिया।
- शेर अफ़ग़ान फ़ारस का निवासी था, उसका प्रारम्भिक नाम 'अलीकुलीबेग़ इस्तझी' था।
- वह अपने भाग्य की परीक्षा के लिए मुग़ल दरबार में आया था।
- उसने 17 वर्षीय मेहरुन्निसा (नूरजहाँ) से विवाह कर लिया।
- जहाँगीर के राज्यकाल के प्रारम्भिक दिनों में उसे बर्दवान की जागीर तथा शेर अफ़ग़ान की उपाधि प्राप्त हुई।
- 1607 ई. में उस पर बंगाल के विद्रोही अफ़ग़ानों का गुप्त रीति से साथ देने का सन्देह हुआ।
- अत: जहाँगीर ने बंगाल के तत्कालीन सूबेदार कुतुबुद्दीन कोका को शेर अफ़ग़ान को बन्दी बनाकर दिल्ली भेजने का आदेश दिया।
- शेर अफ़ग़ान ने इस प्रकार अपने को बन्दी बनाये जाने का प्रतिरोध किया।
- इसके फलस्वरूप एक युद्ध हुआ और इस युद्ध में कुतुबुद्दीन और शेर अफ़ग़ान दोनों ही मारे गये।
- शेर अफ़ग़ान की विधवा पत्नी मेहरुन्निसा और उसकी एकमात्र पुत्री को मुग़ल दरबार में भेज दिया गया।
- चार वर्षों के उपरान्त मेहरुन्निसा ने जहाँगीर से विवाह कर लिया।
- मेहरुन्निसा ने शेर अफ़ग़ान से उत्पन्न अपनी पुत्री का विवाह जहाँगीर के सबसे छोटे पुत्र शहरमीर से कर दिया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 453 |