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'''नलदमन''' [[मुग़ल]] दरबार के | '''नलदमन''' [[मुग़ल]] दरबार के विद्वान् [[अबुल फ़ज़ल]] के भाई कविराज [[फ़ैज़ी]] का मौलिक तथा श्रेष्ठ काव्य है, जिसे उन्होंने [[अकबर]] के आदेश पर "नल-दमयन्ती" के उपाख्यान को लेकर [[हिजरी]] 1003 (1594-95 ई.) में चार महीने में लिखकर समाप्त किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= अकबर|लेखक= राहुल सांकृत्यायन|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= किताब महल, इलाहाबाद|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=295|url=}}</ref> | ||
*बादशाह अकबर, फ़ैज़ी और अबुल फ़ज़ल अपनी जन्म भूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते थे, उसकी [[मिट्टी]] को चूमते थे। [[भारत]] की हर एक चीज इन तीनों को प्रिय थी। | *बादशाह अकबर, फ़ैज़ी और अबुल फ़ज़ल अपनी जन्म भूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते थे, उसकी [[मिट्टी]] को चूमते थे। [[भारत]] की हर एक चीज इन तीनों को प्रिय थी। |
14:38, 6 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
नलदमन मुग़ल दरबार के विद्वान् अबुल फ़ज़ल के भाई कविराज फ़ैज़ी का मौलिक तथा श्रेष्ठ काव्य है, जिसे उन्होंने अकबर के आदेश पर "नल-दमयन्ती" के उपाख्यान को लेकर हिजरी 1003 (1594-95 ई.) में चार महीने में लिखकर समाप्त किया था।[1]
- बादशाह अकबर, फ़ैज़ी और अबुल फ़ज़ल अपनी जन्म भूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते थे, उसकी मिट्टी को चूमते थे। भारत की हर एक चीज इन तीनों को प्रिय थी।
- निजामी, जामी आदि फ़ारसी कवियों ने अपने यहाँ के कथानकों को लेकर महाकाव्य रचे थे।
- अकबर चाहता था कि हमारे देश के कथानक पर भी काव्य लिखे जाएँ। इसीलिए फ़ैज़ी ने 'नलदमन' काव्य रचा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 295 |