"गोलमेज़ सम्मेलन तृतीय" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) छो (गोलमेज सम्मेलन तृतीय का नाम बदलकर गोलमेज़ सम्मेलन तृतीय कर दिया गया है) |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | '''तृतीय | + | '''तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन''' [[17 नवम्बर]], [[1932]] ई. को आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में कुल 46 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह सम्मेलन बिना किसी निर्णय के ही समाप्त हुआ। |
− | + | *'तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन' में [[कांग्रेस]] के किसी प्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया। | |
− | *'तृतीय | + | *भारत सचिव सर सैमुअल होर इस 'गोलमेज़ सम्मेलन' का विरोधी था। |
− | *भारत सचिव सर सैमुअल होर इस ' | ||
*इस सम्मेलन में भारतीय संवैधानिक प्रगति के कुछ सिद्धान्तों पर सभी लोग सहमत हो गए, जिन्हें एक श्वेतपत्र के रूप में ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति के सम्मुख रखा गया। | *इस सम्मेलन में भारतीय संवैधानिक प्रगति के कुछ सिद्धान्तों पर सभी लोग सहमत हो गए, जिन्हें एक श्वेतपत्र के रूप में ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति के सम्मुख रखा गया। | ||
*यही श्वेतपत्र आगे चलकर [[1933]] ई. के 'गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट' (भारतीय शासन विधान) का आधार बना। | *यही श्वेतपत्र आगे चलकर [[1933]] ई. के 'गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट' (भारतीय शासन विधान) का आधार बना। |
12:17, 4 दिसम्बर 2012 के समय का अवतरण
तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन 17 नवम्बर, 1932 ई. को आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में कुल 46 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह सम्मेलन बिना किसी निर्णय के ही समाप्त हुआ।
- 'तृतीय गोलमेज़ सम्मेलन' में कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया।
- भारत सचिव सर सैमुअल होर इस 'गोलमेज़ सम्मेलन' का विरोधी था।
- इस सम्मेलन में भारतीय संवैधानिक प्रगति के कुछ सिद्धान्तों पर सभी लोग सहमत हो गए, जिन्हें एक श्वेतपत्र के रूप में ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति के सम्मुख रखा गया।
- यही श्वेतपत्र आगे चलकर 1933 ई. के 'गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट' (भारतीय शासन विधान) का आधार बना।
- 24 दिसम्बर, 1932 ई. को बिना किसी निर्णय के यह सम्मेलन समाप्त हो गया।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख