गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|- | |- | ||
| valign="top" style="width:40%; border:none;"| | | valign="top" style="width:40%; border:none;"| | ||
* यहाँ हम [[भारत]] के [[दर्शन शास्त्र|दर्शन]] संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। | * यहाँ हम [[भारत]] के [[दर्शन शास्त्र|दर्शन]] संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दर्शन वह ज्ञान है जो परम सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। | ||
{{Headnote2| [[:श्रेणी:दर्शन कोश|दर्शन श्रेणी के सभी लेख देखें:- दर्शन कोश]]}} | {{Headnote2| [[:श्रेणी:दर्शन कोश|दर्शन श्रेणी के सभी लेख देखें:- दर्शन कोश]]}} | ||
| valign="middle" style="width:20%; border:none;"| | | valign="middle" style="width:20%; border:none;"| | ||
[[चित्र:Darshan-icon-2.gif|center]] | [[चित्र:Darshan-icon-2.gif|center]] | ||
| valign="top" style="width:40%; border:none;"| | | valign="top" style="width:40%; border:none;"| | ||
* लोकायत दर्शन या चार्वाक दर्शन हमारे देश में नास्तिक विचारधारा माना जाता रहा है। | * लोकायत दर्शन या चार्वाक दर्शन हमारे देश में नास्तिक विचारधारा माना जाता रहा है। दर्शन यथार्थता की परख के लिये एक दृष्टिकोण है। दार्शनिक चिन्तन मूलतः जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। | ||
{{प्रांगण नोट}} | {{प्रांगण नोट}} | ||
|} | |} |
13:50, 28 अक्टूबर 2012 का अवतरण
|