"कारख़ाना अधिनियम, 1891": अवतरणों में अंतर
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#स्त्रियों को रात्रि में 8 बजे से लेकर 5 बजे सुबह तक कार्य करने पर प्रतिबंध था तथा इनके काम करने की अवधि 11 घंटे प्रतिदिन निश्चित कर दी गई। | #स्त्रियों को रात्रि में 8 बजे से लेकर 5 बजे सुबह तक कार्य करने पर प्रतिबंध था तथा इनके काम करने की अवधि 11 घंटे प्रतिदिन निश्चित कर दी गई। | ||
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07:03, 4 अप्रैल 2018 का अवतरण
कारख़ाना अधिनियम, 1891 गवर्नर-जनरल लॉर्ड लैन्सडाउन के समय में लाया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य वयस्क श्रमिकों के हितार्थ था।
मुख्य प्रावधान
- यह अधिनियम उन कारखानों पर लागू था, जहां श्रमिकों की संख्या कम से कम 50 थी।
- नौ वर्ष से कम आयु के बच्चों के कारखानों में कार्य करने पर पूर्ण प्रतिबंध था।
- इस अधिनियम के तहत नौ से उन्नीस वर्ष के बच्चों के काम करने की अवधि 7 घंटे निर्धारित की गई थी।
- स्त्रियों को रात्रि में 8 बजे से लेकर 5 बजे सुबह तक कार्य करने पर प्रतिबंध था तथा इनके काम करने की अवधि 11 घंटे प्रतिदिन निश्चित कर दी गई।
- 1891 के इस अधिनियम के द्वारा सप्ताह में एक दिन अवकाश की व्यवस्था थी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारत में कारखाना अधिनियम (हिंदी) divanshugs.blogspot.in। अभिगमन तिथि: 04, अप्रैल।