छत्तीसगढ़ी बोली

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  • मुख्य क्षेत्र छत्तीसगढ़ होने के कारण इसका नाम छत्तीसगढ़ी पड़ा है।
  • अर्धमागधी अपभ्रंश के दक्षिणी रूप से इसका विकास हुआ है।
  • इसका क्षेत्र सरगुजा, कोरिया, बिलासपुर, रायगढ़, खैरागढ़, रायपुर, दुर्ग, नन्दगाँव, काँकरे, आदि हैं।
  • छत्तीसगढ़ी में भी केवल लोक- साहित्य है।
  • छ्त्तीसगढ़ी की मुख्य उपबोलियाँ सुरगुजिया, सदरी, बैगानी, बिंझवाली आदि हैं।
  • उड़िया तथा मराठी को सीमा पर की छत्तीसगढ़ी में 'ऋ' का उच्चारण 'रु' किया जाता है।
  • कुछ शब्दों में महाप्राणीकरण [1], अघोषीकरण [2], स का छ का स [3] आदि इसकी कुछ विशेषताएँ हैं।


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टीका टिप्पणी

  1. इलाका- इलाखा
  2. बन्दगी- बन्दकी, शराब- शराप, ख़राब- खराप
  3. सीता- छीता, छेना- सेना

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