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'''सिंधी भाषा / Sindhi Language'''
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सिंधी भाषा भारतीय-आर्य भाषाओं के पश्चिमोत्तर समूह और [[भारत]]-पाकिस्तान उपमहाद्वीप की एक प्रमुख साहित्यिक भाषा है। इसकी उत्पत्ति [[वेद|वेदों]] के लेखन या सम्भवत: उससे भी पहले सिन्ध क्षेत्र में बोली जाने वाली एक प्राचीन भारतीय-आर्य बोली या प्राथमिक प्राकृत से हुई है। [[ऋग्वेद]] के श्लोकों पर इस बोली का प्रभाव कुछ हद तक देखा जा सकता है। [[प्राकृत]] परिवार की अन्य भाषाओं की तरह सिंधी भी विकास के प्राचीन भारतीय-आर्य ([[संस्कृत]]) व मध्य भारतीय-आर्य ([[पालि भाषा|पालि]], द्वितीयक प्राकृत तथा अपभ्रंश) के चरणों से गुज़रकर लगभग 10वीं शताब्दी में नवीन भारतीय-आर्य चरण में प्रवेश कर गई। चूंकि सिंध क्षेत्र अविभाजित भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित था, इसलिए इसे लगातार आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 1100 वर्षों से अधिक समय तक यह क्षेत्र मुस्लिम शासन में रहा, इसलिए सिंधी भाषा में अरबी और फ़ारसी के शब्द अधिक हैं। इसके बावजूद मूल शब्द-संग्रह और व्याकरण संरचना लगभग अपरिवर्तित है।
 
 
सिंधी भाषा भारतीय-आर्य भाषाओं के पश्चिमोत्तर समूह और [[भारत]]-पाकिस्तान उपमहाद्वीप की एक प्रमुख साहित्यिक भाषा है। इसकी उत्पत्ति [[वेद|वेदों]] के लेखन या सम्भवत: उससे भी पहले सिन्ध क्षेत्र में बोली जाने वाली एक प्राचीन भारतीय-आर्य बोली या प्राथमिक प्राकृत से हुई है। [[ॠग्वेद]] के श्लोकों पर इस बोली का प्रभाव कुछ हद तक देखा जा सकता है। प्राकृत परिवार की अन्य भाषाओं की तरह सिंधी भी विकास के प्राचीन भारतीय-आर्य ([[संस्कृत]]) व मध्य भारतीय-आर्य ([[पालि]], द्वितीयक प्राकृत तथा अपभ्रंश) के चरणों से गुज़रकर लगभग 10वीं शताब्दी में नवीन भारतीय-आर्य चरण में प्रवेश कर गई। चूंकि सिंध क्षेत्र अविभाजित भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित था, इसलिए इसे लगातार आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 1100 वर्षों से अधिक समय तक यह क्षेत्र मुस्लिम शासन में रहा, इसलिए सिंधी भाषा में अरबी और फ़ारसी के शब्द अधिक हैं। इसके बावजूद मूल शब्द-संग्रह और व्याकरण संरचना लगभग अपरिवर्तित है।
 
 
==भूगोल==
 
==भूगोल==
सिंधी भाषा के रूप में सिंध क्षेत्र में बोली जाती है, जो 1947 में भारत के विभाजन  के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था। परिणामस्वरूप, उस समय के सामाजिक-राजनीतिक संकट से मजबूर होकर 12 लाख सिंधी भाषी हिन्दुओं को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। भारत में सिंधियों का कोई विशेष भाषाई राज्य नहीं है, लेकिन उनकी न्यायोचित माँग को देखते हुए 10 अप्रैल 1967 को सिंधी को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई। सिंधी आबादी समूचे भारत में फैली हुई है और [[गुजरात]] ([[अहमदाबाद]] व [[वडोदरा]]), [[महाराष्ट्र]] ([[मुंबई, [[उल्हासनगर व पुणे), [[राजस्थान]] ([[अजमेर, [[जयपुर]], [[जोधपुर]] व [[उदयपुर]]), [[उत्तर प्रदेश]] ([[आगरा]], [[कानपुर]], [[लखनऊ]] व वाराणसी), [[मध्य प्रदेश]] ([[भोपाल, [[इन्दौर]], [[ग्वालियर]] व [[रायपुर]]) तथा [[दिल्ली]] के नगरों व शहरों में इनकी सघनता है।शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सिंधी भाषा ने भारत और पाकिस्तान में उल्लेखनीय प्रगति की है। सिंध में इसका उपयोग सरकारी भाषा के रूप में होता है। पाकिस्तान की 1981 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, वहाँ लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने सिंधी को अपनी मातृभाषा स्वीकार किया है। दूसरी तरफ़ भारत में 1991 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले सिंधी भाषी लोगों की संख्या लगभग 22 लाख है। अधिकांश सिंधी व्यापारिक समुदाय के हैं; लगभग 20 लाख सिंधी विश्व के अन्य देशों में बसे हुए हैं।
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सिंधी भाषा के रूप में सिंध क्षेत्र में बोली जाती है, जो 1947 में भारत के विभाजन  के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था। परिणामस्वरूप, उस समय के सामाजिक-राजनीतिक संकट से मजबूर होकर 12 लाख सिंधी भाषी हिन्दुओं को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। भारत में सिंधियों का कोई विशेष भाषाई राज्य नहीं है, लेकिन उनकी न्यायोचित माँग को देखते हुए 10 अप्रैल 1967 को सिंधी को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई। सिंधी आबादी समूचे भारत में फैली हुई है और [[गुजरात]] ([[अहमदाबाद]] व [[वडोदरा]]), [[महाराष्ट्र]] ([[मुंबई]], [[उल्हासनगर]] [[पुणे]]), [[राजस्थान]] ([[अजमेर]], [[जयपुर]], [[जोधपुर]] व [[उदयपुर]]), [[उत्तर प्रदेश]] ([[आगरा]], [[कानपुर]], [[लखनऊ]] व [[वाराणसी]]), [[मध्य प्रदेश]] ([[भोपाल]], [[इन्दौर]], [[ग्वालियर]] व [[रायपुर]]) तथा [[दिल्ली]] के नगरों व शहरों में इनकी सघनता है। शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सिंधी भाषा ने भारत और पाकिस्तान में उल्लेखनीय प्रगति की है। सिंध में इसका उपयोग सरकारी भाषा के रूप में होता है। पाकिस्तान की 1981 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, वहाँ लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने सिंधी को अपनी मातृभाषा स्वीकार किया है। दूसरी तरफ़ भारत में 1991 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले सिंधी भाषी लोगों की संख्या लगभग 22 लाख है। अधिकांश सिंधी व्यापारिक समुदाय के हैं; लगभग 20 लाख सिंधी विश्व के अन्य देशों में बसे हुए हैं।
 
==व्याकरण==
 
==व्याकरण==
 
इस भाषा में स्वरांत शब्दों की प्रचुरता है, विशेषकर 'उ' से समाप्त होने वाले शब्द (सिंधी भाषा में यह विशेषता प्राकृत मूल से विरासत में आई है); इसमें चार स्वरित अंत:स्फोटात्मक  
 
इस भाषा में स्वरांत शब्दों की प्रचुरता है, विशेषकर 'उ' से समाप्त होने वाले शब्द (सिंधी भाषा में यह विशेषता प्राकृत मूल से विरासत में आई है); इसमें चार स्वरित अंत:स्फोटात्मक  
ध्वनीग्राम (सहसा अंतर्श्वास से उत्पन्न ध्वनि ग, ज, द, ब) हैं। सिंधी में पाँच नासिक ध्वनिग्रामों (न, न, न, न, म) की पूरी श्रृंखला है। कर्मवाच्य और भाववाचक क्रियापद सामान्य हैं (उदाहरण, लिख-इज-ए, अर्थात 'लिखा जा सकता है')। संज्ञा, परसर्गों और क्रियाओं के साथ प्रत्यय सर्वनामों का उपयोग एक अन्य महत्वपूर्ण भाषाई विशेषता है। उदाहरण के लिए, पिना-सी 'उसके पिता'; खे-सी 'उसे'; लिख्या-इन-सी 'उसने उसे लिखा'। सिंधी भाषा ने कई प्राचीन शब्द और व्याकरण स्वरूपों को सुरक्षित रखा है, जैसे झुरूया से झुरू (प्राचीन); वैदिक संस्कृत के युति से जुई 'स्थान'; तथा प्राकृत वुथ्या से वुथ्थो 'बारिश हुई'। सिंधी की मुख्य बोलियाँ सिराइकी (ऊपरी सिंध में बोली जाने वाली), विचोली (मध्य सिंध में बोली जाने वाली), लाड़ी (निचले सिंध में प्रयुक्त), लासी (लासा-बेलो, बलूचिस्तान की बोली), थरेली या धतकी (सिंध के दक्षिण-पूर्वी थारपारकर ज़िले और सिंध की सीमा से लगे राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में प्रयुक्त) हैं। सिंध के दक्षिण में भारत के [[कच्छ]] और [[सौराष्ट्र]] क्षेत्रों में बोली जाने वाली कच्छी बोली सिंधी व [[गुजराती]] के बीच की बोली है। इनमें से विचोली बोली सिंध की मानक और साहित्यिक बोली है।
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ध्वनीग्राम (सहसा अंतर्श्वास से उत्पन्न ध्वनि ग, ज, द, ब) हैं। सिंधी में पाँच नासिक ध्वनिग्रामों (न, न, न, न, म) की पूरी श्रृंखला है। कर्मवाच्य और भाववाचक क्रियापद सामान्य हैं (उदाहरण, लिख-इज-ए, अर्थात 'लिखा जा सकता है')। संज्ञा, परसर्गों और क्रियाओं के साथ प्रत्यय सर्वनामों का उपयोग एक अन्य महत्त्वपूर्ण भाषाई विशेषता है। उदाहरण के लिए, पिना-सी 'उसके पिता'; खे-सी 'उसे'; लिख्या-इन-सी 'उसने उसे लिखा'। सिंधी भाषा ने कई प्राचीन शब्द और व्याकरण स्वरूपों को सुरक्षित रखा है, जैसे झुरूया से झुरू (प्राचीन); वैदिक संस्कृत के [[युति]] से जुई 'स्थान'; तथा प्राकृत वुथ्या से वुथ्थो 'बारिश हुई'। सिंधी की मुख्य बोलियाँ सिराइकी (ऊपरी सिंध में बोली जाने वाली), विचोली (मध्य सिंध में बोली जाने वाली), लाड़ी (निचले सिंध में प्रयुक्त), लासी (लासा-बेलो, बलूचिस्तान की बोली), थरेली या धतकी (सिंध के दक्षिण-पूर्वी थारपारकर ज़िले और सिंध की सीमा से लगे राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में प्रयुक्त) हैं। सिंध के दक्षिण में भारत के [[कच्छ]] और [[सौराष्ट्र]] क्षेत्रों में बोली जाने वाली [[कच्छी भाषा|कच्छी बोली]] सिंधी व [[गुजराती भाषा|गुजराती]] के बीच की बोली है। इनमें से विचोली बोली सिंध की मानक और साहित्यिक बोली है।
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==लिपि==
 
==लिपि==
सिंधी भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि (अरबी वर्णाक्षरों का परिवर्तित तथा परिवर्द्धित रूप), जिसे ब्रिटिश सरकार ने 1853 में मानकीकृत किया और जिसमें 52 अक्षर हैं तथा देवनागरी-सिंधी लिपि (देवनागरी, जिसमें सिंधी भाषा की अंत:स्फोटात्मक ध्वनियों के लिए चार अतिरिक्त अक्षर शामिल किए गए है)। इसके अलावा, सिंधी भाषा की अपनी प्राचीन देशी लिपि 'सिंधी' भी है, जिसकी उत्पत्ति आद्य-नागरी, ब्राह्मी और सिंधु घाटी लिपियों से हुई है। लेकिन इसका उपयोग अब कुछ व्यापारियों के वाणिज्यिक पत्र व्यवहार और सिंध के इस्माईली खोजा मुस्लिम समुदाय के धर्मग्रन्थों तक सीमित है। भारत में सिंधियों की वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए देवनागरी-सिंधी लिपि का अधिकाधिक  
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सिंधी भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि (अरबी वर्णाक्षरों का परिवर्तित तथा परिवर्द्धित रूप), जिसे ब्रिटिश सरकार ने 1853 में मानकीकृत किया और जिसमें 52 अक्षर हैं तथा देवनागरी-सिंधी लिपि (देवनागरी, जिसमें सिंधी भाषा की अंत:स्फोटात्मक ध्वनियों के लिए चार अतिरिक्त अक्षर शामिल किए गए है)। इसके अलावा, सिंधी भाषा की अपनी प्राचीन देशी लिपि 'सिंधी' भी है, जिसकी उत्पत्ति आद्य-नागरी, ब्राह्मी और सिंधु घाटी लिपियों से हुई है। लेकिन इसका उपयोग अब कुछ व्यापारियों के वाणिज्यिक पत्र व्यवहार और सिंध के इस्माईली खोजा मुस्लिम समुदाय के धर्मग्रन्थों तक सीमित है। भारत में सिंधियों की वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए देवनागरी-सिंधी लिपि का अधिकाधिक  
 
उपयोग उनकी साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए हो रहा है।
 
उपयोग उनकी साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए हो रहा है।
 
===अरबी===
 
===अरबी===
सिंधी भाषा अरबी तरीके से यानि दायें से बायें लिखि ज्याती है। इसमें 52 अल्फाबेट्स होते है। जिसमे 34 अक्षर [[फारसी]] भाषा के है और 18 नये अक्षर, <big>ڄ</big> ,<big>ٺ</big> ,<big>ٽ</big> ,<big>ٿ</big> ,<big>ڀ</big> ,<big>ٻ</big> ,<big>ڙ</big> ,<big>ڍ</big> ,<big>ڊ</big> ,<big>ڏ</big> ,<big>ڌ</big> ,<big>ڇ</big> ,<big>ڃ</big> ,<big>ڦ</big> ,<big>ڻ</big> ,<big>ڱ</big> ,<big>ڳ</big> ,<big>ڪ</big> है। इनमें अधिकतर का रूप आदि, मध्य और अंत में भिन्न-भिन्न होता है। स्वरों की मात्राएँ अनिवार्य न होने के कारण एक ही शब्द के कई उच्चारण हो जाते हैं।
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सिंधी भाषा अरबी तरीक़े से यानि दायें से बायें लिखी जाती है। इसमें 52 अक्षर होते हैं। जिसमें 34 अक्षर [[फ़ारसी भाषा]] के हैं और 18 नये अक्षर, <big>ڄ</big> ,<big>ٺ</big> ,<big>ٽ</big> ,<big>ٿ</big> ,<big>ڀ</big> ,<big>ٻ</big> ,<big>ڙ</big> ,<big>ڍ</big> ,<big>ڊ</big> ,<big>ڏ</big> ,<big>ڌ</big> ,<big>ڇ</big> ,<big>ڃ</big> ,<big>ڦ</big> ,<big>ڻ</big> ,<big>ڱ</big> ,<big>ڳ</big> ,<big>ڪ</big> हैं। इनमें अधिकतर का रूप आदि, मध्य और अंत में भिन्न-भिन्न होता है। स्वरों की मात्राएँ अनिवार्य न होने के कारण एक ही शब्द के कई उच्चारण हो जाते हैं।
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      <td>ɖ</td>
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      <td>t</td>
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      <td>z</td>
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      <td>ʃ</td>
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      <td>s</td>
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      <td>h</td>
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      <td>m</td>
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      <td>ŋ</td>
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      <td>ɡʱ</td>
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      <td>ɡ</td>
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===देवनागरी===
 
===देवनागरी===
जबकि भारत में अरबी के अलावा देवनागरी लिपी का भी उपयोग किया जाता है। देवनागरी लिपी जो हिन्दी कि तरह बायें से दायें लिखि जाती है। यह 1948 में भारत सरकार द्वारा लायी गयी भाषा है।
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जबकि भारत में अरबी के अलावा देवनागरी लिपि का भी उपयोग किया जाता है। देवनागरी लिपि जो हिन्दी कि तरह बायें से दायें लिखी जाती है। यह 1948 में भारत सरकार द्वारा लायी गयी भाषा है।
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      <td>d</td>
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      <td colspan="3"></td>
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      <th>ल</th>
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      <th>व</th>
 +
      <th colspan="6"></th>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>j</td>
 +
      <td>r</td>
 +
      <td>l</td>
 +
      <td>ʋ</td>
 +
    </tr>
 +
    <tr bgcolor="#eef7fd">
 +
      <th>श</th>
 +
      <th>ष</th>
 +
      <th>स</th>
 +
      <th>ह</th>
 +
      <th colspan="6"></th>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>ʃ</td>
 +
      <td>ʂ</td>
 +
      <td>s</td>
 +
      <td>h</td>
 +
      <td colspan="6">AMEERDDIN</td>
 +
    </tr>
 +
</table>
 +
==संख्या==
 +
<table border="1" cellpadding="5" cellspacing="0">
 +
    <tr>
 +
      <th bgcolor="#eef7fd">हिन्दी</th>
 +
      <th bgcolor="#eef7fd">मध्य-पूर्व</th>
 +
      <th bgcolor="#eef7fd">पूर्व/भारतीय-सिंधी</th>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>0</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٠</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۰</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>1</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">١</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۱</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>2</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٢</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۲</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>3</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٣</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۳</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>4</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٤</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۴</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>5</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٥</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۵</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>6</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٦</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۶</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>7</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٧</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۷</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>8</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٨</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۸</span></td>
 +
    </tr>
 +
    <tr>
 +
      <td>9</td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">٩</span></td>
 +
      <td><span xml:lang="ar" lang="ar">۹</span></td>
 +
    </tr>
 +
</table>
  
 
==आम बोलचाल(वाक्य)==
 
==आम बोलचाल(वाक्य)==
* ''कीयं आहियो / कीयं आहीं''? - "आप कैसे हो/तुम कैसे हो?"
+
* कीयं आहियो / कीयं आहीं? - 'आप कैसे हो/तुम कैसे हो?'
* ''आउं / मां ठीक आहियां'' - "मैं ठीक हुं।"
+
* आउं / माँ ठीक आहियां - 'मैं ठीक हुं।'
* ''तवाहिन्जी महेरबानी'' - "धन्यवाद/शुकिरीया"
+
* तवाहिन्जी महेरबानी - 'धन्यवाद/शुकिरीया'
* ''हा'' - "हां"
+
* हा - 'हां'
* ''न'' - "नहीं"
+
* न - 'नहीं'
* ''तवाहिन्जो / तुहिन्जो नालो छा आहे''? - "आपका/तुमारा नाम क्या है?"
+
* तवाहिन्जो / तुहिन्जो नालो छा आहे? - 'आपका/तुमारा नाम क्या है'?
* ''मुहिन्जो नालो _____ आहे''। - "मेरा नाम _____ है।"
+
* मुहिन्जो नालो _____ आहे। - 'मेरा नाम _____ है।'
* ''हिक'' - "एक"
+
* हिक - 'एक'
* ''बह्'' - "दो"
+
* बह् - 'दो'
* ''टेह्'' - "तीन"
+
* टेह् - 'तीन'
* ''च्हार'' - "चार"
+
* च्हार - 'चार'
* ''पंज'' - "पांच"
+
* पंज - 'पांच'
* ''छः'' - "छे"
+
* छह - 'छे'
* ''सत'' - "सात"
+
* सत - 'सात'
* ''अठः'' - "आठ"
+
* अठः - 'आठ'
* ''नवं'' - "नौ"
+
* नवं - 'नौ'
* ''डहः'' - "दस"
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* डहः - 'दस'
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10:10, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

सिंधी भाषा भारतीय-आर्य भाषाओं के पश्चिमोत्तर समूह और भारत-पाकिस्तान उपमहाद्वीप की एक प्रमुख साहित्यिक भाषा है। इसकी उत्पत्ति वेदों के लेखन या सम्भवत: उससे भी पहले सिन्ध क्षेत्र में बोली जाने वाली एक प्राचीन भारतीय-आर्य बोली या प्राथमिक प्राकृत से हुई है। ऋग्वेद के श्लोकों पर इस बोली का प्रभाव कुछ हद तक देखा जा सकता है। प्राकृत परिवार की अन्य भाषाओं की तरह सिंधी भी विकास के प्राचीन भारतीय-आर्य (संस्कृत) व मध्य भारतीय-आर्य (पालि, द्वितीयक प्राकृत तथा अपभ्रंश) के चरणों से गुज़रकर लगभग 10वीं शताब्दी में नवीन भारतीय-आर्य चरण में प्रवेश कर गई। चूंकि सिंध क्षेत्र अविभाजित भारत की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित था, इसलिए इसे लगातार आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 1100 वर्षों से अधिक समय तक यह क्षेत्र मुस्लिम शासन में रहा, इसलिए सिंधी भाषा में अरबी और फ़ारसी के शब्द अधिक हैं। इसके बावजूद मूल शब्द-संग्रह और व्याकरण संरचना लगभग अपरिवर्तित है।

भूगोल

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सिंधी भाषा के रूप में सिंध क्षेत्र में बोली जाती है, जो 1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था। परिणामस्वरूप, उस समय के सामाजिक-राजनीतिक संकट से मजबूर होकर 12 लाख सिंधी भाषी हिन्दुओं को भारत में शरण लेनी पड़ी थी। भारत में सिंधियों का कोई विशेष भाषाई राज्य नहीं है, लेकिन उनकी न्यायोचित माँग को देखते हुए 10 अप्रैल 1967 को सिंधी को संविधान की 8वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की गई। सिंधी आबादी समूचे भारत में फैली हुई है और गुजरात (अहमदाबादवडोदरा), महाराष्ट्र (मुंबई, उल्हासनगरपुणे), राजस्थान (अजमेर, जयपुर, जोधपुरउदयपुर), उत्तर प्रदेश (आगरा, कानपुर, लखनऊवाराणसी), मध्य प्रदेश (भोपाल, इन्दौर, ग्वालियररायपुर) तथा दिल्ली के नगरों व शहरों में इनकी सघनता है। शैक्षिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सिंधी भाषा ने भारत और पाकिस्तान में उल्लेखनीय प्रगति की है। सिंध में इसका उपयोग सरकारी भाषा के रूप में होता है। पाकिस्तान की 1981 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, वहाँ लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने सिंधी को अपनी मातृभाषा स्वीकार किया है। दूसरी तरफ़ भारत में 1991 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, देश के विभिन्न प्रान्तों में रहने वाले सिंधी भाषी लोगों की संख्या लगभग 22 लाख है। अधिकांश सिंधी व्यापारिक समुदाय के हैं; लगभग 20 लाख सिंधी विश्व के अन्य देशों में बसे हुए हैं।

व्याकरण

इस भाषा में स्वरांत शब्दों की प्रचुरता है, विशेषकर 'उ' से समाप्त होने वाले शब्द (सिंधी भाषा में यह विशेषता प्राकृत मूल से विरासत में आई है); इसमें चार स्वरित अंत:स्फोटात्मक ध्वनीग्राम (सहसा अंतर्श्वास से उत्पन्न ध्वनि ग, ज, द, ब) हैं। सिंधी में पाँच नासिक ध्वनिग्रामों (न, न, न, न, म) की पूरी श्रृंखला है। कर्मवाच्य और भाववाचक क्रियापद सामान्य हैं (उदाहरण, लिख-इज-ए, अर्थात 'लिखा जा सकता है')। संज्ञा, परसर्गों और क्रियाओं के साथ प्रत्यय सर्वनामों का उपयोग एक अन्य महत्त्वपूर्ण भाषाई विशेषता है। उदाहरण के लिए, पिना-सी 'उसके पिता'; खे-सी 'उसे'; लिख्या-इन-सी 'उसने उसे लिखा'। सिंधी भाषा ने कई प्राचीन शब्द और व्याकरण स्वरूपों को सुरक्षित रखा है, जैसे झुरूया से झुरू (प्राचीन); वैदिक संस्कृत के युति से जुई 'स्थान'; तथा प्राकृत वुथ्या से वुथ्थो 'बारिश हुई'। सिंधी की मुख्य बोलियाँ सिराइकी (ऊपरी सिंध में बोली जाने वाली), विचोली (मध्य सिंध में बोली जाने वाली), लाड़ी (निचले सिंध में प्रयुक्त), लासी (लासा-बेलो, बलूचिस्तान की बोली), थरेली या धतकी (सिंध के दक्षिण-पूर्वी थारपारकर ज़िले और सिंध की सीमा से लगे राजस्थान के पश्चिमी क्षेत्र में प्रयुक्त) हैं। सिंध के दक्षिण में भारत के कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्रों में बोली जाने वाली कच्छी बोली सिंधी व गुजराती के बीच की बोली है। इनमें से विचोली बोली सिंध की मानक और साहित्यिक बोली है।

लिपि

सिंधी भाषा मुख्यत: दो लिपियों में लिखी जाती है, अरबी-सिंधी लिपि (अरबी वर्णाक्षरों का परिवर्तित तथा परिवर्द्धित रूप), जिसे ब्रिटिश सरकार ने 1853 में मानकीकृत किया और जिसमें 52 अक्षर हैं तथा देवनागरी-सिंधी लिपि (देवनागरी, जिसमें सिंधी भाषा की अंत:स्फोटात्मक ध्वनियों के लिए चार अतिरिक्त अक्षर शामिल किए गए है)। इसके अलावा, सिंधी भाषा की अपनी प्राचीन देशी लिपि 'सिंधी' भी है, जिसकी उत्पत्ति आद्य-नागरी, ब्राह्मी और सिंधु घाटी लिपियों से हुई है। लेकिन इसका उपयोग अब कुछ व्यापारियों के वाणिज्यिक पत्र व्यवहार और सिंध के इस्माईली खोजा मुस्लिम समुदाय के धर्मग्रन्थों तक सीमित है। भारत में सिंधियों की वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति को देखते हुए देवनागरी-सिंधी लिपि का अधिकाधिक उपयोग उनकी साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसे बढ़ावा देने के लिए हो रहा है।

अरबी

सिंधी भाषा अरबी तरीक़े से यानि दायें से बायें लिखी जाती है। इसमें 52 अक्षर होते हैं। जिसमें 34 अक्षर फ़ारसी भाषा के हैं और 18 नये अक्षर, ڄ ,ٺ ,ٽ ,ٿ ,ڀ ,ٻ ,ڙ ,ڍ ,ڊ ,ڏ ,ڌ ,ڇ ,ڃ ,ڦ ,ڻ ,ڱ ,ڳ ,ڪ हैं। इनमें अधिकतर का रूप आदि, मध्य और अंत में भिन्न-भिन्न होता है। स्वरों की मात्राएँ अनिवार्य न होने के कारण एक ही शब्द के कई उच्चारण हो जाते हैं।

جھ ڄ ج پ ث ٺ ٽ ٿ ت ڀ ٻ ب ا
ɟʱ ʄ ɟ p s >ʈʰ ʈ t ɓ b *
ڙ ر ذ ڍ ڊ ڏ ڌ د خ ح ڇ چ ڃ
ɽ r z ɖʱ ɖ ɗ >d x h c ɲ
ق ڦ ف غ ع ظ ط ض ص ش س ز ڙھ
k f ɣ z t z s ʃ s z ɽʱ
ي ه و ڻ ن م ل ڱ گھ ڳ گ ک ڪ
* h * ɳ n m l ŋ ɡʱ ɠ ɡ k

देवनागरी

जबकि भारत में अरबी के अलावा देवनागरी लिपि का भी उपयोग किया जाता है। देवनागरी लिपि जो हिन्दी कि तरह बायें से दायें लिखी जाती है। यह 1948 में भारत सरकार द्वारा लायी गयी भाषा है।

ə a ɪ i ʊ e ɛ o ɔ
ख़ ग॒ ग़
k x ɡ ɠ ɣ ɡʱ ŋ
ज॒ ज़
c ɟ ʄ z ɟʱ ɲ
ड॒ ड़ ढ़
ʈ ʈʰ ɖ ɗ ɽ ɖʱ ɽʱ ɳ
t d n
फ़ ब॒
p f b ɓ m
j r l ʋ
ʃ ʂ s h AMEERDDIN

संख्या

हिन्दी मध्य-पूर्व पूर्व/भारतीय-सिंधी
0 ٠ ۰
1 ١ ۱
2 ٢ ۲
3 ٣ ۳
4 ٤ ۴
5 ٥ ۵
6 ٦ ۶
7 ٧ ۷
8 ٨ ۸
9 ٩ ۹

आम बोलचाल(वाक्य)

  • कीयं आहियो / कीयं आहीं? - 'आप कैसे हो/तुम कैसे हो?'
  • आउं / माँ ठीक आहियां - 'मैं ठीक हुं।'
  • तवाहिन्जी महेरबानी - 'धन्यवाद/शुकिरीया'
  • हा - 'हां'
  • न - 'नहीं'
  • तवाहिन्जो / तुहिन्जो नालो छा आहे? - 'आपका/तुमारा नाम क्या है'?
  • मुहिन्जो नालो _____ आहे। - 'मेरा नाम _____ है।'
  • हिक - 'एक'
  • बह् - 'दो'
  • टेह् - 'तीन'
  • च्हार - 'चार'
  • पंज - 'पांच'
  • छह - 'छे'
  • सत - 'सात'
  • अठः - 'आठ'
  • नवं - 'नौ'
  • डहः - 'दस'

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पन्ने की प्रगति अवस्था
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संबंधित लेख

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